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फेडरल रिजर्व ने घटाई ब्याज दर, 25 बेसिस पॉइंट की कटौती – भारतीय बाजार पर क्या होगा असर?

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Posted On:Thursday, December 11, 2025

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को अपनी ओवरनाइट लेंडिंग रेट में 25 बेसिस पॉइंट (0.25%) की कटौती का फैसला लिया। इस कदम से फेड की नई टारगेट रेंज 3.5% से 3.75% के बीच आ गई है। यह साल की तीसरी ब्याज दर कटौती है, लेकिन इसके लिए समिति के भीतर काफी बहस हुई। फेड की पॉलिसी कमेटी के 12 में से 9 सदस्यों ने रेट कट का समर्थन किया, जबकि एक सदस्य ने तो 50 बेसिस पॉइंट की बड़ी कटौती की मांग कर दी थी। कुछ सदस्यों का मानना था कि लेबर मार्केट में और कमजोरी रोकने के लिए रेट घटाना जरूरी है, जबकि अन्य का कहना था कि ज्यादा ढील देने से महंगाई फिर बढ़ सकती है। यानी, यह फैसला आसान नहीं था, बल्कि गहन विश्लेषण के बाद लिया गया कदम है।

भारतीय बाजार पर असर कम, क्यों?

भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) इस फैसले के लिए पहले से तैयार था। इसलिए एक्सपर्ट्स का मानना है कि फेड की इस कटौती का भारतीय बाजार पर बहुत बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा।

फिलहाल भारतीय बाजार में दो बड़ी घरेलू समस्याएं चल रही हैं:

  1. IPO की भारी भीड़, जिसकी वजह से बाजार में लिक्विडिटी खिंच गई है

  2. कॉर्पोरेट अर्निंग्स का लगातार कमजोर रहना, खासतौर पर पिछले छह तिमाहियों से

इस वजह से भारतीय स्टॉक मार्केट का मूड अमेरिकी फैसलों से ज्यादा घरेलू संकेतों पर निर्भर है।

डॉलर और बॉन्ड यील्ड में हलचल

फेड के नरम रुख (Dovish stance) का असर तुरंत अमेरिकी डॉलर और सरकारी बॉन्ड यील्ड पर दिखा।

  • डॉलर इंडेक्स 0.25% गिरकर 98.54 पर आ गया

  • US 10-साल की बॉन्ड यील्ड ज्यादातर फ्लैट रही

आमतौर पर डॉलर कमजोर होने पर भारत जैसे उभरते बाजारों (Emerging Markets) में विदेशी पूंजी (FII) का प्रवाह बढ़ता है, लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग हैं।

क्योंकि भारतीय बाजार में अभी भी:

  • FII लगातार बिकवाली कर रहे हैं

  • मार्केट को सपोर्ट देने के लिए घरेलू फंडों पर निर्भरता बढ़ गई है

इसलिए डॉलर की कमजोरी से जिस तेज सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद रहती है, वह इस बार शायद नहीं दिखे।

क्या भारतीय शेयर बाजार में उछाल आएगा?

एनालिस्ट्स का मानना है कि भारतीय बाजार पर फेड के फैसले का सीधा और बड़ा असर नहीं होने वाला। कुछ मामूली सकारात्मक संकेत जरूर मिल सकते हैं — जैसे विदेशी निवेशकों की हल्की वापसी — लेकिन बड़े स्तर पर निवेश तभी बढ़ेगा जब घरेलू परिस्थितियां बेहतर होंगी।

वर्तमान बाजार तीन चीजों पर ज्यादा फोकस कर रहा है:

  1. घरेलू कंपनियों की कमाई

  2. भारत की GDP ग्रोथ का ट्रेंड

  3. US–India ट्रेड डील और ग्लोबल रिलेशनशिप में बदलाव

इसलिए फेड की ब्याज दर में कटौती, भारतीय बाजार के लिए एक न्यूट्रल से हल्का पॉजिटिव फैक्टर माना जा रहा है।

IPO की भीड़ बनी सबसे बड़ी चुनौती

इस समय भारतीय बाजार में लगातार कई बड़े IPO लॉन्च हो रहे हैं।
इसका सीधा असर यह रहा कि:

  • रिटेल इन्वेस्टर्स की लिक्विडिटी IPO में फंस रही है

  • सेकेंडरी मार्केट में खरीदारी कमजोर पड़ रही है

  • मार्केट की रैली बीच-बीच में रुक जाती है

एनालिस्ट्स का कहना है कि यदि IPO की यह भीड़ कम हो जाए, तो भारतीय बाजार में तेजी फिर से पकड़ बना सकती है।


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