कांग्रेस ने मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को राज्य अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया, लेकिन आजाद ने कुछ ही देर बाद पद संभालने से इनकार कर दिया। उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य का हवाला दिया है, लेकिन आजाद राज्य में चुनाव के दौरान खुद को ड्राइविंग सीट पर चाहते हैं. हालांकि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद इस मुद्दे पर मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं. लेकिन सूत्रों के मुताबिक वह राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं इसलिए वह इस बार भी खुद को सीएम पद पर देखना चाहेंगे. वह पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के हालात को भी अच्छी तरह से जानते हैं. वहीं, चयन के दौरान इस समिति के सदस्यों से सलाह भी नहीं ली गई, जिससे उनके समर्थक भी नाराज हैं.
सूत्रों का कहना है कि समिति में होने से उनका कद छोटा हो जाएगा, जो भी एक कारण है कि उन्होंने इस पद को लेने से इनकार कर दिया। वह पहले से ही कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य हैं, जो सोनिया गांधी को सलाह देने वाली राजनीतिक मामलों की समिति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दरअसल, इस साल गुलाम नबी आजाद को केंद्र की ओर से पद्म भूषण से नवाजा जा चुका है। वहीं, जम्मू क्षेत्र में बड़ी संख्या में आजाद समर्थक रामबन, डोडा, किश्तवाड़, रियासी और उधमपुर जिलों से हैं. इन 5 जिलों में 12 विधानसभा सीटें हैं। आठ महीने पहले आजाद इन जिलों पर फोकस कर एक स्वतंत्र किंगमेकर बनने की कोशिश कर रहे थे।