औरंगाबाद, 10 नवंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) महाराष्ट्र के औरंगाबाद में जिला प्रशासन ने कोरोना वायरस बीमारी (कोविड-19) के टीके का दायरा बढ़ाने के लिए सख्त नीति अपनाई है। एक अधिसूचना के अनुसार प्रशासन ने कहा है कि जिन निवासियों को वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं मिली है, उन्हें पेट्रोल, गैस या राशन नहीं मिलेगा।
इस नीति को लागू करने के लिए दुकान व पेट्रोल पंप मालिकों व संचालकों को लोगों के टीकाकरण प्रमाण पत्र की जांच करने को कहा गया है। वहीं पर्यटन स्थलों पर स्थित होटल, रिजॉर्ट और दुकानों पर सभी कामगारों के लिए टीकाकरण भी अनिवार्य कर दिया गया है। यह अधिसूचना 9 नवंबर को जारी की गई थी और तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है।
कलेक्टर सुनील चव्हाण ने कहा कि क्षेत्र में टीकाकरण के आंकड़े कम पाए जाने के बाद जिला प्रशासन ने यह कदम उठाया है। आदेश के अनुसार जो लोग बीबी का मकबरा, औरंगाबाद, अजंता, एलोरा और पितलकोरा गुफाओं जैसे ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों की यात्रा करना चाहते हैं, उनके लिए टीके की कम से कम एक खुराक अनिवार्य है।
अधिकारी ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य एजेंसियों को टीकाकरण अभियान चलाने और उन जगहों पर टीकाकरण बूथ स्थापित करने का निर्देश दिया गया है जहां पर्यटकों की संख्या अधिक होती है।
इसके अलावा कलेक्टर ने कोषागार अधिकारी को पत्र लिखकर नवंबर माह के उन कर्मचारियों के वेतन व अन्य फंड स्वीकृतियों को रोकने का निर्देश दिया है जिन्होंने वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं ली है।
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा औरंगाबाद प्रशासन को देश भर के 40 से अधिक जिलों के कलेक्टरों के साथ बातचीत के दौरान कोविड -19 टीकाकरण अभियान को तेज करने का निर्देश देने के एक सप्ताह बाद आया है।
बता दें टीकाकरण के मामले में औरंगाबाद, नंदुरबार, बुलढाणा, हिंगोली, नांदेड़, बीड, अमरावती और अकोला सहित महाराष्ट्र के आठ जिलों को टीकाकरण अभियान की गति के संबंध में पिछड़े के रूप में पहचाना गया। जिले की टीकाकरण दर फिलहाल 55.12 फीसदी है और प्रधानमंत्री की अपील के बाद प्रशासन ने इसे 30 नवंबर तक 100 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है।