मुंबई, 6 फरवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। केरल के एक समलैंगिक जोड़े ने हाईकोर्ट के साइकोलॉजिस्ट से काउंसलिंग करवाने वाले आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर मामले में दूसरे पक्ष को नोटिस जारी किया है। इसके अलावा अगले आदेश तक केरल हाईकोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। समलैंगिक जोड़े की ओर से एक युवती ने अपने वकील के जरिए यह याचिका लगाई है। उसका आरोप है कि 13 जनवरी को केरल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उसकी पार्टनर को काउंसलिंग सेशन में भाग लेने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के वकील श्रीराम पी. ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि समलैंगिक जोड़ा महिला हैं और दोनों एक साथ रहना व शादी करना चाहते हैं। पहली महिला का कहना है कि उसके पार्टनर के माता पिता हमारे संबंधों के खिलाफ हैं। हमारी इच्छा के विरूद्ध उन्होंने मेरे पार्टनर को घर में कैद करके रखा है। वे हमारे संबंधों को पसंद नहीं करते और हमारी शादी रोकना चाहते हैं। यह सुरक्षा और स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है।
तो वहीं, याचिकाकर्ता ने कहा कि, हाईकोर्ट ने गलत तरीके से उसकी साथी को साइकोलॉजिस्ट से काउंसलिंग करवाने के लिए कहा। ऐसा लग रहा है कि उनसे उनकी इच्छा को बदलने के लिए कहा गया है। जो कि कानूनन गलत है। याचिकाकर्ता ने इसी साल 24 जनवरी और 2 फरवरी के आदेशों को चुनौती दी और कहा कि उन्हें मौलिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। कोर्ट के इन आदेशों ने 9 जनवरी से लेकर आज तक की हिरासत में लिए गए लोगों को सुरक्षा और स्वतंत्रता से वंचित कर दिया। साथ ही याचिका में यह भी कहा गया कि क्या हिरासत में लिए गए लोगों को हाई कोर्ट में सुरक्षा में शारीरिक रूप से सुनवाई का अधिकार देना चाहिए था। यह कहते हुए कि याचिका में कानून को लेकर भी सवाल किया कि क्या जेंडर ओरिएंटेशन काउंसलिंग कानूनी है या नहीं।