पटना, 22 मई - राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संस्थापक लालू प्रसाद को राहत देते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उन्हें डीएलएफ से जुड़े एक रिश्वत के मामले में क्लीन चिट दे दी है।
सीबीआई सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय जांच एजेंसी ने जनवरी 2018 में लालू प्रसाद और रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ समूह के खिलाफ भ्रष्टाचार के लिए प्रारंभिक जांच शुरू की थी। सीबीआई पीई को आरोपों की जांच करनी थी कि क्या डीएलएफ समूह रेल भूमि पट्टा परियोजना पर नजर गड़ाए हुए थी ? मुंबई के बांद्रा और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के उन्नयन ने दक्षिण दिल्ली की न्यू फ्रेंड कॉलोनी में एक संपत्ति के साथ पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद को रिश्वत दी थी।
सूत्र ने कहा कि यह आरोप लगाया गया था कि कथित मुखौटा कंपनी एबी एक्सपोर्ट्स ने दिसंबर 2007 में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में लगभग 5 करोड़ रुपये में एक संपत्ति खरीदी थी, जबकि उस समय इसकी वास्तविक सर्कल दर 30 करोड़ रुपये थी। संपत्ति खरीदने के लिए लेनदेन कथित तौर पर डीएलएफ होम डेवलपर्स द्वारा वित्त पोषित किया गया था और लेक्सिस इंफोटेक और कुछ अन्य मुखौटा कंपनियों के माध्यम से भेजा गया था।
बता दें 2011 में, तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद की बेटियों - चंदा यादव और रागिनी - ने कथित तौर पर शेयरों के हस्तांतरण से एबी एक्सपोर्ट्स को केवल 4 लाख रुपये में खरीदा था। इस प्रकार न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी की संपत्ति उन्हें हस्तांतरित कर दी गई। सूत्रों से मिलीं जानकारी में बताया गया की सीबीआई ने प्रवीण जैन और अमित कात्याल की भूमिका की भी जांच की थी, जिन्होंने डीएलएफ समूह और राजद नेता के बीच लेनदेन को अंजाम दिया था।
सीबीआई सूत्र ने कहा कि "पीई को बंद कर दिया गया है क्योंकि आरोपों से कोई मामला नहीं बनता है"।
सूत्रों के मुताबिक, राजद नेता को क्लीन चिट ऋषि कुमार शुक्ला ने शीर्ष पद से सेवानिवृत्ति से पहले दी थी। लालू प्रसाद को झारखंड उच्च न्यायालय ने इस साल अप्रैल में दुमका कोषागार मामले में जमानत दी थी, जो बिहार चारा घोटाला मामले से जुड़ा है। उन पर राजकोष से 3 करोड़ रुपये से अधिक निकालने का आरोप था। जमानत मिलने से पहले लालू प्रसाद ने तीन साल से अधिक समय जेल में बिताया था।