मुंबई, 30 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इजराइली फिल्म मेकर नदाव लैपिड ने विवेक अग्निहोत्री की 'द कश्मीर फाइल्स' को वल्गर और प्रोपेगेंडा फिल्म बताया था। अब लैपिड ने एक इंटरव्यू में कहा है कि इस फिल्म के खिलाफ बोलना आसान नहीं था। लैपिड ने कहा जब उन्होंने 'द कश्मीर फाइल्स' देखी, तब वे इस बात से हैरान हो गए थे कि ये फिल्म सरकारी एजेंडे को कितने अच्छे से फॉलो करती है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर इस तरह की फिल्म आने वाले सालों में इजराइल में भी बनती है, तो आश्चर्य नहीं होगा। लैपिड ने आगे कहा, 'मुझे पता था कि यह फिल्म एक ऐसी घटना पर आधारित है, जो देश से जुड़ी हुई है। इसके बावजूद सबके सामने सच कहना आसान नहीं था, क्योंकि मैं, वहां पर गेस्ट था। वहां मौजूद हर शख्स मेरे साथ अच्छा व्यवहार कर रहा था। ऐसे में जब मैं ये कहने जा रहा था, तब मेरे मन में एक बेचैनी थी। मुझे नहीं पता था कि इसके डाइमेंशन्स क्या होंगे। इसलिए मैंने डरते हुए अपनी बात कही। लैपिड ने आगे कहा, 'जब मैंने ये फिल्म देखी, तब मैं इसकी तुलना इजराइल से करने लगा। हालांकि, वहां ऐसा कुछ नहीं होता है, लेकिन ऐसा हो भी सकता है। इसलिए मुझे लगा कि इसके खिलाफ बोलना जरूरी है, क्योंकि मैं एक ऐसी जगह से आया हूं, जहां खुद में सुधार नहीं हुआ है।'
जिसके बाद फिल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि कश्मीर फाइल्स का एक डायलॉग या एक भी सीन झूठा निकला तो वो फिल्में बनाना छोड़ देंगे। विवेक ने इस बारे में आगे बात करते हुए कहा, '700 लोगों के पर्सनल इन्टरव्यूज के बाद ये फिल्म बनी है। क्या वो 700 लोग, जिनके मां-बाप भाई-बहनों को सरेआम काट दिया गया। गैंग रेप किया गया। दो टुकड़ों में बांट दिया गया। क्या वो सब लोग प्रोपेगैंडा और वल्गर श्लील बातें कर रहे थे? यासीन मलिक अपने टेरर के जुल्मों को कबूल करके जेल में सड़ रहा है, क्या ये प्रोपेगैंडा और वल्गर बात है?