मुंबई, 25 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दिल्ली में भाजपा और एनडीए शासित 19 राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी मौजूद रहे। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने इस बैठक में जाति जनगणना को अपनी सरकार के उस मॉडल का हिस्सा बताया, जिसका उद्देश्य समाज के हाशिए पर रहने वाले और हर क्षेत्र में पिछड़े वर्गों को विकास की मुख्यधारा में लाना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की नीतियां समावेशी विकास को प्राथमिकता देती हैं और जातीय जनगणना इसी दिशा में एक ठोस कदम है। प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का भी ज़िक्र करते हुए कहा कि यह अभियान भारत की आत्मनिर्भर डिफेंस टेक्नोलॉजी की मजबूती का प्रमाण है। उन्होंने बताया कि स्वदेशी तकनीक के माध्यम से भारतीय सेना ने पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलों को सफलतापूर्वक मार गिराया, जो देश की रक्षा तैयारियों में एक बड़ी उपलब्धि है। बैठक में प्रधानमंत्री ने एनडीए शासित राज्यों की सरकारों को ‘गुड गवर्नेंस’ यानी बेहतर शासन व्यवस्था अपनाने की सलाह दी और प्रशासनिक कुशलता बढ़ाने पर जोर दिया।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बैठक की जानकारी साझा करते हुए बताया कि इसमें ऑपरेशन सिंदूर और जाति जनगणना से संबंधित दो प्रस्ताव पारित किए गए। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लाया गया प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ, जिसमें भारतीय सेना के पराक्रम की सराहना की गई। इसके साथ ही जाति जनगणना को लेकर भी सहमति बनी और सभी नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले की प्रशंसा की। नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा जातिगत राजनीति नहीं करती, बल्कि उसका उद्देश्य वंचित, शोषित और अब तक उपेक्षित वर्गों को आगे लाना है। बैठक में इस वर्ष के कुछ बड़े आयोजनों पर भी चर्चा हुई, जिनमें मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होना, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के 10 वर्ष और आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ प्रमुख हैं। इन सभी अवसरों पर विशेष कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर के वैश्विक प्रभाव का भी उल्लेख किया और कहा कि इस अभियान के उद्देश्य और पाकिस्तान की सच्चाई को दुनिया के सामने लाने के लिए 59 सांसदों को 33 देशों में भेजा गया है। ये सांसद सात अलग-अलग सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में बंटे हैं और उनके साथ आठ पूर्व राजनयिक भी शामिल हैं। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 20 मई को इन प्रतिनिधिमंडलों को इस वैश्विक अभियान की रणनीति और उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी थी।