मुंबई, 20 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कर्नाटक में हिजाब विवाद के थमने की गुंजाईश नजर नहीं आ रही है। स्कूली छात्राओं के हिजाब पहनने पर रोक लगने के बाद अब यूनिवर्सिटी में भी इस पर रोक लगाने की कार्रवाई की जा रही है। राज्य के शिक्षा विभाग ने दूसरे प्री-यूनिवर्सिटी एग्जाम में छात्राओं और इनविजिलेटर को हिजाब जैसी कोई भी धार्मिक चीज पहनने से मना कर दिया है।यह एग्जाम 22 अप्रैल से 18 मई तक चलेंगे। इस एग्जाम में 6,84,255 उम्मीदवार शामिल होंगे। इसमें 6,00,519 रेगुलर कैंडिडेट हैं, 61808 रिपीटर्स हैं, जबकि 21,928 प्राइवेट कैंडिडेट हैं। उम्मीदवारों में 3,46,936 लड़के हैं, जबकि 3,37,319 लड़कियां हैं।
यह अहम बाते -
- हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
- स्टूडेंट्स स्कूल या कॉलेज की तयशुदा यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते।
- स्कूल के सिलेबस में शामिल की जाएंगी नैतिक शिक्षा की कहानियां।
- हाई कोर्ट ने हिजाब से जुडी सभी 8 याचिकाएं ख़ारिज की।
बीसी नागेश ने कहा -
कर्नाटक के प्राइमरी और सेकेंडरी एजुकेशन मंत्री बीसी नागेश ने बताया कि यह जरूरी है कि सभी छात्र अपनी-अपनी यूनिफॉर्म में आएं। हालांकि प्राइवेट कैंडिडेट और एग्जाम रिपीट करने वाले छात्रों को यूनिफॉर्म पहनने से छूट दी गई है, लेकिन यह जरूरी होगा कि वे ड्रेस कोड से संबंधित कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश और राज्य सरकार के नोटिफिकेशन का पालन करें। बीसी नागेश ने यह भी कहा कि 2022-23 शैक्षणिक सत्र से स्कूल में जिस धर्म के 90% छात्र हैं, उस धर्म की नैतिक शिक्षा की कहानियां सिलेबस में शामिल की जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार नैतिक शिक्षा की कहाानियां चुनते वक्त धर्म में भेदभाव नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि भगवद् गीता, पंचतंत्र, रामायण और महाभारत नैतिक शिक्षा के सिलेबस का हिस्सा बनेंगी। इन्हें सिर्फ शिक्षा के उद्देश्य से रखा जाएगा, इनमें से एग्जाम नहीं लिए जाएंगे।