आणंद (गुजरात), 16 दिसंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) आज गुरुवार 16 दिसंबर को गुजरात के आणंद में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है। इस आयोजन में केंद्रीय गृह मंत्री ने तो शिरकत की ही, साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना संबोधन दिया। इस संबोधन में पीएम मोदी ने सबसे ज्यादा जोर प्राकृतिक खेती पर दिया।
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्राकृतिक खेती से देश के 80% छोटे पैमाने के किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होगा। इन किसानों के पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है और वे रासायनिक उर्वरकों पर काफी खर्च करते हैं। हमें खेती की तकनीक में होने वाली गलतियों से भी छुटकारा पाना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि खेत को जलाने से भूमि की उर्वरता का नुकसान होता है। लेकिन पराली जलाने की परंपरा बन गई है।
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमें कृषि को रसायन विज्ञान की प्रयोगशालाओं से बाहर निकालना होगा और इसे प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा। जब मैं एक प्राकृतिक प्रयोगशाला के बारे में बात करता हूं, तो यह पूरी तरह से विज्ञान आधारित है। बीज से लेकर मिट्टी तक, सभी समाधान स्वाभाविक रूप से लाए जा सकते हैं। आज हमारे साथ लगभग 8 करोड़ किसान जुड़े हैं; कॉन्क्लेव का असर सिर्फ गुजरात में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में होगा, जिसका फायदा सभी किसानों को मिलेगा। खाद्य प्रसंस्करण, प्राकृतिक खेती इन सभी मुद्दों से कृषि क्षेत्र को बदलने में मदद मिलेगी।
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में केंद्रीय अमित शाह ने कहा कि हम देश में एक प्रयोगशाला स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं जो जमीन का ऑडिट करेगी और जैविक उत्पादों को प्रमाणित करेगी ताकि किसानों को अधिक कीमत मिल सके। अमूल और अन्य इस पर काम कर रहे हैं। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। जैविक उत्पादन समय की मांग है। प्राकृतिक खेती जैसे गाय के गोबर की खाद से भूमि की उर्वरता में सुधार होता है। उन्होंने आगे कहा कि 2019 के बाद से ही पीएम मोदी ने किसानों से जैविक खेती करने की अपील की है।