बंगाल में तृणमूल की जीत के बाद भी हिंसा जारी, अब तक पांच की हत्या, शुभेंदु अधिकारी पर भी हमला

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Posted On:Monday, May 3, 2021

कोलकाता, 03 मई । पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद तृणमूल कांग्रेस की तीसरी बार सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन चुनाव के दौरान फैली वैमनस्यता का प्रभाव अब भी देखने को मिल रहा है। कई स्थानों पर भाजपा कार्यालय में आग लगाने, कार्यकर्ताओं के घरों में तोड़फोड़ करने और हत्या जैसी घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में अब तक चुनाव परिणाम आने के बाद पांच लोगों की हत्या हो चुकी है। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी के साथ हाथापाई करने की भी खबरें आई हैं।
 
चुनाव परिणाम आने के बाद कोलकाता के कई इलाकों में हिंसक घटनाएं हुईं। कोलकाता के काकुड़गाछी में भाजपा समर्थक की हत्या कर दी गयी, जबकि साल्टलेक, न्यूटाउन, भांगड़ में रातभर अशांति रही। शिवपुर-हावड़ा में भाजपा समर्थक की दुकान में दिनदहाड़े लूट का मामला भी प्रकाश में आया है। लोगों का आरोप है कि मौके पर खड़ी पुलिस ने सब कुछ देखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। बांगुड़ एवेन्यू, बड़ाबाजार में तृणमूल समर्थकों ने जीत के बाद दबंगई दिखायी।भाजपा ने आरोप लगाया कि राज्य के कई जिलों में भी भाजपा समर्थकों पर हमले होने की खबर मिली है।  
 
नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पराजित करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता शुभेंदु अधिकारी पर हल्दिया में हमला कर दिया। भाजपा का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हुगली जिले में उसके पार्टी कार्यालय को रविवार को आग लगा दी और शुभेंदु अधिकारी समेत उसके कुछ नेताओं के साथ हाथापाई की। 
 
हुगली में पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों को सजा दी जायेगी। स्थानीय भाजपा नेता ने दावा किया कि तृणमूल कार्यकर्ताओं ने उनकी पार्टी की उम्मीदवार सुजाता मंडल की हार होने के तुरंत बाद पार्टी के आरामबाग कार्यालय को आग लगा दी। 
 
उल्लेखनीय है कि रविवार शाम से तृणमूल कांग्रेस की जीत की तस्वीर स्पष्ट होने के बाद ही कई स्थानों पर हिंसा की घटनाएं हुईं लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मीडिया के सामने इन तमाम घटनाओं पर एक शब्द भी नहीं बोला। राज्यपाल जगदीप धनखड़ के फोन कर हालात की जानकारी देने और राज्यभर में शांतिपूर्वक माहौल सुनिश्चित करने के अनुरोध के बावजूद पुलिस अधिकतर हिंसा की घटनाओं में कानून का अनुपालन करने वाली एजेंसी के बजाए मूकदर्शक नजर आ रही हैं।


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