मुंबई, 7 फरवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायिक या पुलिस कस्टडी में बंद महिला का वर्जिनिटी टेस्ट करना संविधान के खिलाफ है। काेर्ट ने यह टिप्पणी मंगलवार को सिस्टर सेफी की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। याचिका 2009 में दायर की गई थी। सिस्टर सेफी को 1992 में एक नन सिस्टर अभया की हत्या का आरोपी ठहराया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने कहा कि कस्टडी में रखे गए हर इंसान के मौलिक आत्मसम्मान को बनाए रखना जरूरी है, लेकिन इस केस में इसका अनादर किया गया है। हाईकोर्ट ने सिस्टर सेफी को अनुमति दी है कि वे अपने मौलिक अधिकारों के हनन के खिलाफ मुआवजे की मांग कर सकती हैं। CBI ने न्याय के अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई, जिसे कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ इंडिया जैसी अथॉरिटीज दिल्ली में स्थित हैं, इसलिए इस केस में कार्रवाई का कुछ अंश दिल्ली में किया जा सकता है।
दरअसल, सिस्टर अभया 27 मार्च 1992 को 18 साल की उम्र में केरल के कोट्टायम के सेंट पियस एक्स कॉन्वेंट हॉस्टल के कुएं में मृत पाई गई थीं। उनकी हत्या के आरोप में फादर कोट्टूर और सिस्टर सेफी को स्पेशल CBI कोर्ट ने दिसंबर 2020 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि केरल हाईकोर्ट ने इस सजा को सस्पेंड कर दिया था। CBI कोर्ट की जांच में सामने आया था कि सेफी और कोट्टूर के बीच शारीरिक संबंध थे, इन्हें छुपाने के लिए दोनों ने अभया का मर्डर किया था। इस जांच की पुष्टि के लिए CBI ने सिस्टर सेफी का वर्जिनिटी टेस्ट कराया था। इस टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर कोर्ट ने जांच को सही माना था।
CBI के पास इस केस को ट्रांसफर किए जाने से पहले केरल पुलिस ने अपनी जांच में कहा था कि सिस्टर अभया ने सुसाइड किया था। हालांकि CBI ने इस केस की दोबारा जांच की और कोट्टूर, सेफी और फादर जोस पूथरुकायिल को 2008 में सिस्टर अभया की हत्या करने, सबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने का दोषी ठहराया था। जुलाई 2009 में दाखिल की गई चार्जशीट में CBI ने कहा था कि अभया ने सेफी, कोट्टूर और जोस पूथरुकायिल को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था। अपना राज खुलता देखकर सेफी ने मौके पर ही कुल्हाड़ी से अभया पर वार किया और फिर तीनों आरोपियों ने मिलकर अभया की बॉडी को कुएं में फेंक दिया था।