प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले सिख गुरु, गुरु नानक देव की 553 वीं जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित एक समारोह में भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के आवास इकबाल सिंह लालपुरा में किया गया है. पीएम मोदी लगातार सिख गुरुओं से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होते हैं और गुरुद्वारे में जाकर दर्शन भी करते हैं. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा है कि सिख गुरुओं की शिक्षा पूरी दुनिया को प्रकाश की किरण की तरह जीवन के कठिन दौर से गुजरने का रास्ता दिखा रही है.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि 'जब भारत का विभाजन हुआ, हमारे पंजाब के लोगों ने देश के लोगों के लिए बलिदान दिया, देश ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भी शुरू कर दिया है। हमने विभाजन के शिकार हुए सिख और हिंदू परिवारों को वापस लाने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लाकर भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने कहा कि सिख परंपरा में रहे प्रकाश पर्व का महत्व और अहसास आज पूरा भारत उसी में सेवा और कर्तव्य की परंपरा को लगन से आगे बढ़ा रहा है. पीएम मोदी ने आगे कहा कि गुरु नानक देव जी ने हमें जीवन जीने की राह दिखाई थी. पीएम मोदी ने कहा कि गुरु जी के इस एक वाक्य में आध्यात्मिक चिंतन है, भौतिक समृद्धि का सूत्र भी है और सामाजिक समरसता की प्रेरणा भी है.
आपको बता दें कि सिख धर्म के 10 गुरुओं में सबसे पहले गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को वर्ष 1469 में रावी नदी के तट पर स्थित तलवंडी नामक गांव में हुआ था। गुरु नानक के पिता का नाम मेहता कालू और माता का नाम तृप्ता देवी था। गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु थे। इसलिए हर साल सिख समुदाय इस दिन को गुरुपुरब या प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं। अब गुरु नानक देव के जन्म को पूरे विश्व में गुरु पर्व के रूप में मनाया जाता है।