बीकानेर, 16 दिसम्बर। राजस्थान सम्पूर्ण राष्ट्र में अपनी संस्कृति तथा प्राकृतिक विविधता के लिए पहचाना जाता है। बीकानेर में स्थित सेठ तोलाराम बाफना एकेडमी में एक नया विश्व इतिहास रचा गया। बाफना स्कूल के सी. ई. ओ. डॉ परमजीत सिंह वोहरा ने बताया कि बीकानेर के पगड़ी कलाकर पवन व्यास ने साफे बांधने शुरू किए ओर 1 घंटे मे 205 साफे बांध दिए। पवन ने पूर्व के रिकॉर्ड को महज 38 मिनट मे 130 साफे बाधकर तोड़ दिया। साफे बांधने का सिलसिला यही नही रुका देखते ही देखते पवन व्यास ने सिर्फ 60 मिनट मे 205 साफे बांधकर एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित कर दिया।
पवन व्यास बताया कि उनके द्वारा समय समय पर किये जाने वाले कार्यक्रम न केवल राजस्थानी कला-संस्कृति के सरंक्षण का कार्य करते है साथ ही राजस्थानी कला संस्कृति को बढ़ावा देने का प्रयास भी रहा है जिनमे उनकी सरकार से मांग है कि 16 दिसम्बर को पगड़ी दिवस के रूप में मानया जाये और साल में एक दिन सरकारी व गैरसरकारी अधिकारी / कर्मचारीं राजस्थानी पगड़ी पहन कर कार्य करे। जिससे इस कला को बढ़ावा मिल सके और ये हमारी कला – संस्कृति हमेशा जीवित रहे।
राजस्थान के रीति- रिवाज, यहां की वेशभूषा तथा भाषा सादगी के साथ-साथ अपनेपन का भी अहसास कराते है। राजस्थान के लोग रंगीन कपड़े और आभूषणों के शौकीन होते हैं। राजस्थान के समाज के कुछ वर्गों में से कई लोग पगड़ी पहनते हैं, जिसे स्थानीय रूप से साफा, पाग या पगड़ी कहा जाता है। पगड़ी राजस्थान के पहनावे का अभिन्न अंग है। पगड़ी सिर के चारों ओर विभिन्न व विशिष्ट शैलियों में बाँधी जाती है तथा ये शैलियां विभिन्न जातियों और विभिन्न अवसरों के अनुसार अलग-अलग होती है। रियासती समय में,पगड़ी को उसे पहनने वाले की प्रतिष्ठा (आन) के रूप में माना जाता था।
इसी ऐतिहासिक परम्परा को आगे बढ़ाने का जिम्मा ऊठाया है बीकानेर के कलाकार पवन व्यास ने, व्यास पहले भी अंगुलीयों पर सबसे छोटी व दुनिया की सबसे बड़ी राजस्थानी पाग – पगड़ीयां बांध कर विश्व में बीकानेर – राजस्थान का नाम रोशन कर चुके है।