बीकानेर, 28 अगस्त 2021 बीकानेर पश्चिम के पूर्व विधायक गोपाल जोशी की कोरोना से मौत के चार महीने बाद उनके परिवार में 3 और मौत हो गईं। ये मौतें सप्ताहभर के अंदर ही हुई हैं। पुत्रवधु (बहू) की मौत का सदमा सहन नहीं कर पाने से पहले जोशी की पत्नी और अब शुक्रवार रात को भाई ने भी दम तोड़ दिया। दोनों ही लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
सबसे पहले 22 अप्रैल को पूर्व विधायक गोपाल जोशी की कोरोना से मौत हो गई थी। अभी पारिवारिक सदस्य शोक से उबर नहीं पाए थे कि रक्षाबंधन के दिन उनके पुत्र जगमोहन जोशी की पत्नी मंजूदेवी जोशी का निधन हो गया। एयरलिफ्ट करके दिल्ली भी ले गए, लेकिन जान नहीं बच सकी। इसी दौरान जयपुर के साकेत अस्पताल में भर्ती गोपाल जोशी की पत्नी कमला देवी को जयपुर से बीकानेर लाया गया। बहू की मौत का ऐसा सदमा लगा कि कमला देवी ने शुक्रवार सुबह दम तोड़ दिया। उसी दिन सुबह करीब 11 बजे उनका अंतिम संस्कार किया गया। घर में एक सप्ताह में दो सदस्यों की मौत का ये सदमा गोपाल जोशी के बड़े भाई राधा कृष्ण जोशी भी सहन नहीं कर सके। शुक्रवार देर रात उनकी भी अचानक मृत्यु हो गई। पिछले एक सप्ताह में तीसरी बार जोशी परिवार के घर से अर्थी उठी तो शहर में शोक की लहर दौड़ गई।
बहू के जाने का गम
जोशी परिवार की बहू मंजू देवी ही सामाजिक कार्यों में सबसे ज्यादा सक्रिय रहती थीं। पिछले दिनों अचानक तबीयत बिगड़ने और लाख कोशिश के बाद भी नहीं बच पाने से घर का हर सदस्य गमगीन हो गया। ऐसे में दोनों बुजुर्ग सदस्य इस सदमे को सहन नहीं कर पाए। पहले कमला देवी का निधन हुआ और 24 घंटे के अंदर दिवंगत गोपाल जोशी के बड़े भाई राधा कृष्ण जोशी ने भी दम तोड़ दिया।
50 साल से राजनीति में सक्रिय
गोपाल जोशी पिछले 50 साल से राजनीति में सक्रिय थे। वो मूल रूप से कांग्रेस में रहे, लेकिन डॉ. बी.डी. कल्ला का कद बढ़ने से उन्हें टिकट नहीं मिला। बाद में वो देवी सिंह भाटी के साथ सामाजिक न्याय मंच में भी रहे। फिर भाजपा में शामिल हो गए। लगातार दो बार 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में बीकानेर पश्चिम सीट से वर्तमान ऊर्जा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला को हराया। जोशी ने अंतिम चुनाव 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के आदेश को मानने के लिए लड़ा था।
राजनीति विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास
अब उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उनके पुत्र गोकुल जोशी और पौत्र विजय मोहन जोशी प्रयास कर रहे हैं। गोकुल जोशी शहर भाजपा में पदाधिकारी भी हैं, जबकि विजय मोहन जोशी अभी किसी पद पर नहीं हैं। गोकुल जोशी और विजय मोहन जोशी चाचा-भतीजे हैं और दोनों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा है। दोनों के रिश्ते अच्छे हैं। अभी जिन तीन सदस्यों की मृत्यु हुई, उनमें विजय मोहन जोशी की मां मंजूदेवी जोशी भी थी।