बीकानेर, 3 नवम्बर। जिले में जिस तेजी से डेंगू पैर पसार रहा है उसी गति से बकरी के दूध व पपीते के पत्तों की मांग भी बढ़ गई है। बकरी के दूध व पपीते के पत्तों से भले ही मरीज की प्लेलेट्स बढ़े या नहीं, लेकिन इनके भाव जरूर बढ़ गए हैं। शहर के निकट के गांवों में तो बकरी का दूध दो गुना महंगा हो गया है। तीस रुपए किलो के भाव से मिलने वाला बकरी का दूध कहीं पचास तो कहीं सत्तर रुपए किलो तक बिक रहा है। अनेक जगह तो सत्तर रुपए देने के बावजूद दूध नहीं मिल रहा। वहीं पपीते के पत्ते तो निशुल्क मिल रहे हैं, लेकिन इनकी मांग भी बढ़ गई है। शहर के नजदीकी गांव बछासर निवासी प्रेम कुमार ने बताया कि गत दस साल से बकरी पालन रहा है। उसके पास 17 छोटी-बड़ी बकरियां हैं। जिनमें तीन बकरी दूध देती हैं। उन्होंने बताया कि पहले केवल नन्हे बालकों के लिए लोग बकरी का दूध लेकर जाते थे, लेकिन अब डेंगू के मरीज भी बकरी का दूध ले जा रहे हैं। वे पचास से सत्तर रुपए किलो के भाव से दूध बेच रहे हैं। जरूरतमंदों को निशुल्क भी दूध दे रहे हैं।
क्या होते हैं प्लेटलेट्स
चिकित्सकों के अनुसार रक्त में श्वेत रक्त कणिका, लाल रक्त कणिका के अलावा प्लेटलेट्स भी होती है। प्लेटलेट्स रक्त का एक भाग है जो खून का थक्का बनाने में सहायक हैं। चोट लगने पर होने वाले रक्तस्त्राव को ये रोकती हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से चार लाख प्लेटलेट्स होती हैं। किसी कारण से यदि ये 50 हजार से कम हो जाएं तो चिंता की बात नहीं। यदि 10-20 हजार की संख्या रहे तो यह स्थिति इमरजेंसी की है। चिकित्सकों के अनुसार डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टायफस, टायफॉइड जैसे रोगों में और दर्दनिवारक दवाएं नियमित लेने से भी ये घटने लगती हैं। इन दिनों बीडीके में दो तरह के मरीज आ रहे हैं। पहले वे जिनके डेंगू पॉजिटिव हैं, लेकिन प्लेटलेट्स एक लाख से ज्यादा हैं। दूसरे वे जिनके डेंगू नेगेटिव आया है लेकिन प्लेटलेट्स बीस हजार ही है। ऐसे में कम प्लेटलेटस वाले मरीज का भर्ती करवाना जरूरी है। डेंगू का अलग से कोई उपचार नहीं है। सामान्य उपचार दे रहे हैं। प्लेटलेट्स बीस हजार से कम होने पर उसे प्लेलेट्स चढ़ानी पड़ती है।