बीकानेर, 9 अगस्त 2021 बीकानेर में सामान्य से कम बारिश होने के कारण किसानों को भारी नुकसान होने जा रहा है। ग्राउंड वाटर से सिंचाई करने वाले किसानों को छोड़ शेष सभी एरिया में बुवाई कम होने से उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा। मूंगफली और कपास के अलावा कोई फसल बड़ा उत्पादन नहीं देगी। तिल और ग्वार का उत्पादन तो आधे से भी कम होने की आशंका जताई जा रही है।
दरअसल, बीकानेर के श्रीडूंगरगढ़ व नोखा के कुछ क्षेत्रों में ट्यूबवेल से सिंचाई होती है। यहां मूंगफली और कपास की बुवाई होती रही है जो इस बार भी है। वहीं खाजूवाला और लूणकरनसर के अधिकांश एरिया में नहरी पानी से सिंचाई होती है। नहर में इस बार सिंचाई के लिए पानी कम मिलने से भारी नुकसान हुआ है। इन एरिया में होने वाली बुवाई पचास से साठ प्रतिशत तक हुई है, जिसके पूरी तरह सफल होने पर अभी भी संदेह है। क्योंकि नहरी पानी सिर्फ पीने के लिए दिया जा रहा है। बारानी एरिया में तो फसल दस से बीस प्रतिशत भी नहीं हो पा रही है।
पिछले साल से कम
एक भी ऐसी फसल नहीं है जो कृषि विभाग के लक्ष्य को पूरा कर सकी हो। मूंगफली और कपास की जो फसल अच्छी मानी जा रही है, वो भी लक्ष्य से काफी कम है। खासकर मूंगफली की फसल की बुवाई 92.90 प्रतिशत हुई है। आमतौर पर एक लाख 67 हजार हेक्टेयर में मूंगफली की बुवाई हेाती है लेकिन इस बार एक लाख 55 हजार हेक्टेयर में बुवाई हो सकती है। फसल की कटाई होते-होते ये मात्रा कम हो जायेगी। इसी तरह कपास का 27 हजार हेक्टेयर में होती है जो अब तक 26 हजार 500 हेक्टेयर में हुई है। मूंग की बुवाई का लक्ष्य तो 94 प्रतिशत पूरा हो गया लेकिन इसका हकीकत में बुवाई एरिया महज 18 हजार हेक्टेयर ही है।
इन फसलों में बड़ा नुकसान
जिन किसानों ने बाजरा, मोठ, तिल, ग्वार आदि की बुवाई की थी, उन्हें भारी नुकसान हो सकता है। दरअसल, बाजरा एक लाख पांच हजार हेक्टेयर में बुवाई का टारगेट था लेकिन महज 66 हजार हेक्टेयर में हो सकती है। इसी तरह साढ़े चार लाख हेक्टेयर में होती है लेकिन इस बार दो लाख 25 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई है। जरूरी नहीं है कि बुवाई के अनुपात में पूरी फसल मिल जाये।
कमजोर मानूसन, बड़ा कारण
कृषि विभाग की मानें तो बीकानेर में इस बार 166 MM बारिश हुई है जबकि आमतौर पर इस समय तक 294 MM बारिश हो जाती है। ऐसे में इस बार कम बारिश के कारण बारानी एरिया पूरी तरह सूखा पड़ा है। यहां दूर दूर तक फसल नहीं है। किसानों ने शुरूआती बरसात में जो हिम्मत दिखाई थी, उन्हें भी नुकसान ही उठाना पड़ा है।