बीकानेर, 4 दिसम्बर। जो बीत गया है वो दौर ना आएगा भले ही वो दौर वापस लौट कर नहीं आता लेकिन बीकानेर के फिल्मो के दीवानों ने बीती सदी में बनी फिल्मों के पोस्टरो की प्रदर्शनी लगाकर उस दौर की याद ताजा कर दी जब ये पोस्टर ही दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लाते थे।इसी उद्देश्य से नौशाद एकेडमी ऑफ हिंदुस्तानी सिनेमा और अमन कला केंद्र के संयुक्त प्रयास से नागरी भंडार के सुदर्शना कला दीर्घा में पुरानी फिल्मों के पोस्टरों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी की विशेषता यह है के यहां 1930 से 1950 तक बनी हिंदी फिल्मों के फ्लेक्स पोस्टर शामिल किए गए हैं वही 1950 से 2000 तक बनी फिल्में के पुराने पोस्टर लगाए गए बीकानेर की ऐतिहासिक किले हवेलियों ने हमेशा से ही बॉलीवुड को अपनी ओर आकर्षित किया है। इस प्रदर्शनी का खास आकर्षण 1954 से अभी तक की उन फिल्म के पोस्टर भी लगाए गए हैं जिन फिल्मों की शूटिंग बीकानेर में हुई है ।संस्था के एम रफीक कादरी ने बताया कि वे 1972 से किसी न किसी रूप में फिल्मी दुनिया से जुड़े रहे हैं। उस दौर में लोग को फिल्मों के पोस्टर देखने के लिए भी सिनेमा हाल तक पहुंचते थे। वे जब फिल्म का प्रचार करने के लिए तांगे पर निकलते थे तो लोग उत्सुकता के साथ उन्हें और फिल्म के पोस्टर देखते थे। बीकानेर में अपनी तरह की लगने वाली पुरानी हिन्दी फिल्मों के पोस्टरों की प्रदर्शनी शहर के लोगों में चर्चा का विषय बनी हुई है।