बीकानेर, 17 दिसंबर। कुष्ठ रोग एक्टिव केस की खोज, सर्विलेंस व उन्मूलन को लेकर चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया। शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन सभागार में दो दिवसीय प्रशिक्षण का समापन हुआ। प्रशिक्षण में चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ प्रसून सोनी, डॉ घनश्याम व डॉ अर्पिता मेहता द्वारा कुष्ठ रोग की पहचान, जांच व उपचार का विस्तृत प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षकों ने जानकारी दी कि चमड़ी पर चमड़ी के रंग से फीका, एक या एक से अधिक दाग या धब्बे जिसमें सुन्नपन, सूखापन, पसीना न आता हो, खुजली या जलन, चुभन न होती हो, तो कुष्ठ रोग हो सकता है। शरीर पर, चेहरे पर, भौंहो के उपर, कानों के उपर सूजन-गठान, दाने या तेलीय चमक दिखाई पड़े, तो कुष्ठ रोग हो सकता है। हाथ पैर में सुन्नता, सूखापन एवं कमजोरी होने पर भी कुष्ठ की जाँच करवानी चाहिए।
संयुक्त निदेशक बीकानेर जोन डॉ देवेंद्र चौधरी ने बताया कि कुष्ठ रोग एक मामूली बीमारी है, जो एक जीवाणु (लेप्रा बेसिली) से होता है, यह कोई छुआछूत का या आनुवंशिक रोग नहीं है। उन्होंने गत 3 वर्ष से एक्टिव केस रहे क्षेत्रों में नए संक्रमित व्यक्तियों की तलाश के निर्देश दिए।
सीएमएचओ डॉ ओपी चाहर ने बताया कि बहु औषधीय उपचार -एमडीटी (कुष्ठ निवारक औषधी) कुष्ठ की शार्तिया दवा है, जो सभी सरकारी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्त में उपलब्ध है। उन्होंने कुष्ठ रोग के प्रत्येक रोगी को ढूंढने, उसके संपूर्ण निःशुल्क उपचार कराने तथा राज्य सरकार द्वारा द्वारा विभिन्न योजनाओं में दिए जा रहे लाभ से लाभान्वित करने के निर्देश दिए।
राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ लोकेश गुप्ता ने बताया कि गत 3 वर्ष में कुल 65 एक्टिव रोगी बीकानेर जिले में उपचार रत रहे हैं। उन्होंने ओपीडी के दौरान कुष्ठ रोग को लेकर जांच के निर्देश दिए। उन्होंने पोस्ट एक्सपोज़र प्रोफायलक्सिस के बारे में जानकारी दी। नर्स ग्रेड द्वितीय हीरा भाटी ने रोगियों संबंधी रिपोर्टिंग व रेकॉर्ड कीपिंग का प्रशिक्षण दिया।