बीकानेर, 14 अगस्त 2021 राजस्थान सरकार द्वारा 1 सितंबर से निजी स्कूल खोलने के आदेश जारी हो गए हैं। एक और जहां सरकार के इस आदेश से निजी स्कूल संचालक खुश है। वहीं दूसरी ओर प्रदेशभर के अभिभावक असमंजस की स्थिति में है। ऐसे में सरकार के इस फैसले को लेकर अब अभिभावक विरोध की तैयारी कर रहे हैं।
राजस्थान के अभिभावक एकता संघ के संयोजक मनीष विजयवर्गीय ने कहा कि छोटे बच्चों की जान की भी कीमत है। लेकिन सरकार ने सिर्फ निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने के लिए जल्दबाजी में स्कूल खोलने का फैसला किया है। जो किसी भी सूरत में हमें बर्दाश्त नहीं किया जायगा। सरकार को सबसे पहले शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन पूरा करना होगा, तभी स्कूल खोले जाएं। वरना प्रदेशभर के अभिभावक सरकार के फैसले का खिलाफ विरोध करेंगे।
पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी ने बताया- गैर जिम्मेदाराना रवैया
पेरेंट्स वेलफेयर सोसाइटी के शेर सिंह ने बताया कि राजस्थान में इससे पहले भी सरकार ने स्कूल खोलने के आदेश जारी किए थे। उस वक्त काफी शिक्षकों की संक्रमण की चपेट में आने से मौत हो गई थी। जिसके बाद सरकार ने आनन-फानन में फिर से स्कूल बंद किए। इस बार भी महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। बावजूद इसके सरकार गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाकर स्कूल खोलने की तैयारी कर रही है।
जो न सिर्फ छोटे बच्चों बल्कि शिक्षकों की जान को भी खतरे में डालने वाला आदेश है। शेर सिंह ने कहा कि राजस्थान में फर्जी वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट बन रहे हैं। ऐसे में सरकार के स्कूलों में वैक्सीनेशन जांच के आदेश अब सिर्फ खानापूर्ति बन गए हैं। जिसकी वजह से वह और बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।
पेरेंट्स को झेलने पड़ी दोहरी मार
वहीं ग्रहणी नीलम शर्मा ने बताया कि पिछले दिनों स्कूल खोलने के आदेश के बाद स्कूल प्रबंधन द्वारा भारी भरकम फीस वसूली गई थी। बच्चों के ट्रांसपोर्ट से लेकर री-एडमिशन तक की राशि भी वसूली गई। लेकिन कुछ दिन बाद स्कूल बंद हो गए। जिसके बाद ना तो स्कूल प्रबंधन ने और ना ही ट्रांसपोर्ट वाले व्यक्ति ने राशि लौटाई। ऐसे में महामारी के इस दौर में अभिभावकों को दोहरी मार झेलनी पड़ी। लेकिन फिर से सरकार बिना अभिभावकों की राय जाने स्कूल खोलने की तैयारी कर चुकी है, जो सरासर गलत है।