बीकानेर, 5 अगस्त 2021 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सभी मंदिरों और घरों में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी को नई पोशाकें धारण कराई जाएंगी। घरों में भगवान की छोटी पोशाकों की दुकानें सजने लगी है, वहीं कई बड़े मंदिरों में इस बार भगवान की पोशाक मथुरा, वृंदावन और नाथद्वारा से मंगाई जा रही है।
वहीं दूसरी ओर नगर सेठ लक्ष्मीनाथजी के मंदिर में भगवान की पोशाक वेलवेट, रेशमी और काटन आदि वस्त्रों से वहीं पर तैयार होंगी। इसी तरह दाऊजी मंदिर, रसिक शिरोमणी मंदिर, गिरिराजजी-गोपालजी मंदिर, बड़ा गोपाल जी मंदिर में भी कान्हे की पोशाकें तैयार हो रही है।
स्थानीय दर्जी भी बीकानेर में यह काम कर रहे हैं मगर पोशाकें बनाने का जिम्मा महिलाओं ने ही उठा रखा है। भगवान लड्डू गोपाल की पोशाक से लेकर मोर, मुकुट, मोती माला, कुंदन, मृगान आदि शृंगार सामग्री समेत इस साल लाखों रुपए का व्यापार होने का अनुमान है।
वस्त्र-सजावटी सामग्री से मिलता है रोजगार
बाजारों में लड्डू गोपाल की प्रतिमाओं, पोशाकों, बांसुरी, पालना, मुकुट, मोरपंख, मोती माला, चांदी की करधनी, पायल व सजावटी सामग्री की बिक्री शुरू हो चुकी है। पोषाक व्यापारी शेखर गुप्ता ने बताया कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग पहले से यहां आकर खरीदारी शुरू कर देते हैं।
उनके अनुसार बाजार का आकलन है कि इस बार शृंंगार व सजावटी सामग्री का व्यापार काफी बढ़ेगा। शहर में लड्डू गोपाल के वस्त्रों की सैकड़ों अस्थाई दुकानें सजती है। वस्त्र निर्माता प्रियंका तंवर का कहना है कि भगवान की पोशाक मथुरा व वृंदावन से मंगाई जाती है। इस साल कोरोनाकाल के चलते अधिकांश व्यापारी मथुरा नहीं गए। उन्होंने आॅनलाइन ही आर्डर बुक कराए हैं।
खरीदारी भी शुरू... 500 तक की पोशाक, 250 तक के मुकुट
पीतल के पालने की कीमत तीन हजार रुपए तक हैं। भगवान की पोशाकें 30 से लेकर 500 रुपए तक की हैं। इनमें सौ से दो सौ रुपए तक की कीमत की पोशाकों की अधिक बिक्री होती है, जो जरदोजी व एंब्रायडरी वर्क की होती हैं। मुकुट 70 से 250 रुपए तक बिकता है। पीतल की पांच और छह इंची की बांसुरी, करधनी और चांदी की पायल की भी खासी खरीदी होती है।
आसपास के जिलों के व्यापारियों ने इनकी खरीदारी शुरू कर दी है। व्यापारियों ने बताया कि पिछले साल काेरोनाकाल के चलते ग्रामीण क्षेत्रों से खरीदारी करने काफी कम व्यापारी और लोग आए थे। उम्मीद है इस साल कारोबार अच्छा होगा। अभी सावन के चलते मंदिरों में भगवान की पोशाकें और सजावटी सामान ले जाने लगे हैं।