बीकानेर, 24 दिसम्बर। ऊंट उत्सव के नाम पर लाखों रूपये खर्च किये जा रहे हैं। आने वाले सैलानियों के सामने शान से रेगिस्तान के इस जहाज की खूबियां जरूर गिनाई जाती है। लेकिन अपने ही घर में उपेक्षा का शिकार हो रहे इस राज्य पशु के सरंक्षण के लिए ना सरकार और ना ही प्रसाशन के पास कोई ठोस योजना है।
आज कलेक्टर परिसर के आगे आज बीकानेर, जैसलमेर और जोधपुर जिले के ऊंट पालकों ने नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को लेकर एक ज्ञापन कलेक्टर नमित मेहता को सौंपा।
ऊंटपालकों का कहना है कि गत सरकार द्वारा ऊंट को राज्य पशु घोषित किया जाने के साथ ही उसे किसी भी परिस्थिति में मारने या राज्य से बाहर भेजे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही ऊंटपालकों के लिए ऊंटनी के प्रसव के समय 10 हजार रूपये सहायता राशि की योजना भी लागू की गई थी जिसे वर्तमान सरकार द्वारा बन्द कर दिया है।
राजकीय पशु चिकित्सालयों में ऊंटों के रोगों से सम्बन्धित दवाईयां उपलब्ध नहीं है। ऐसे में ऊंटपालकों के लिए कभी आमदनी का जरिया रहे ऊंट वर्तमान में घाटे का सौदा बनते जा रहे हैं। ऐसे में परिस्थितिवश कई बार पालक अपने ऊंटों को बेसहारा छोडऩे पर भी मजबूर हो रहे हैं।
ऊंटपालकों ने ऊंटों के लिए समुचित चिकित्सा व्यवस्था, सही दुग्ध वितरण प्रणाली विकसित करने और चारवाह विकसित करने सम्बन्धी मांग की है।