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कोलकाता से ढाका तक…भारत-बांग्लादेश के बीच मिली भूकंप की नई फॉल्ट लाइन, मचेगी तबाही?

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Posted On:Friday, November 28, 2025

हाल के दिनों में बांग्लादेश के ढाका से लेकर भारत के कोलकाता तक भयानक भूकंप के झटके महसूस किए जाने के बाद, एक अंतरराष्ट्रीय भूकंप अनुसंधान टीम ने एक महत्वपूर्ण खोज की है। टीम ने बांग्लादेश में एक नई एक्टिव अंडरग्राउंड फॉल्ट लाइन का पता लगाया है, जो इस पूरे क्षेत्र में भूकंप के जोखिम को बढ़ा सकती है

नई फॉल्ट लाइन की भौगोलिक और भूकंपीय विशेषताएं

यह नई फॉल्ट लाइन लगभग 400 किलोमीटर लंबी है और इसका फैलाव महत्वपूर्ण है:

  • शुरुआत: बांग्लादेश के जमालपुर और म्यमेंसिंह क्षेत्रों से।

  • फैलाव: यह भारत के कोलकाता शहर तक फैली हुई है।

चूँकि यह एक एक्टिव (Seismically Active) फॉल्ट लाइन है, इसका तात्पर्य है कि यह भूकंप पैदा करने में सक्षम है। अध्ययनों से पता चला है कि यह नई फॉल्ट लाइन 6 तीव्रता तक के भूकंप उत्पन्न करने की क्षमता रखती है। यह खोज इस क्षेत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है, जिसने हाल ही में 21 नवंबर को रिक्टर स्केल पर 5.7 तीव्रता के भूकंप सहित कई झटके महसूस किए हैं, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई थी।

बांग्लादेश में पहले से मौजूद भूकंपीय संरचनाएँ

भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि बांग्लादेश पहले से ही कई ज्ञात भूकंपीय संरचनाओं पर स्थित है:

  • मुख्य फॉल्ट लाइनें:

    • Dawki fault line

    • Indo-Burma megathrust

  • अन्य ज्ञात फॉल्ट लाइनें: Sitakunda coastal fault line, Madhupur, Shahjibazar, Jaflong और Comilla।

यह नई खोजी गई फॉल्ट लाइन देश की भूकंपीय संवेदनशीलता को और बढ़ाती है।

आकलन: तीन हिस्सों में विभाजन

इस नई फॉल्ट लाइन की पहचान बांग्लादेश जियोलॉजिकल सर्वे के उप निदेशक अख्तरुल अहसान के नेतृत्व में किए गए एक अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के दौरान की गई। इस टीम में अमेरिका, फ्रांस, तुर्की और बांग्लादेश के शोधकर्ता शामिल थे।

अख्तरुल अहसान ने बताया कि इस फॉल्ट लाइन को जोखिम के आधार पर तीन हिस्सों में बाँटा गया है:

  1. कम तीव्रता वाले भूकंप का जोखिम।

  2. हाई तीव्रता वाले भूकंप का जोखिम।

  3. कोई भूकंप का जोखिम नहीं।

हालांकि, कौन सा हिस्सा अधिक जोखिम वाला है, इस बारे में स्पष्ट जानकारी अभी सामने नहीं आई है।

5.6 करोड़ साल पुराना भूवैज्ञानिक इतिहास

नई रिसर्च ने इस फॉल्ट लाइन के भूवैज्ञानिक इतिहास को उजागर किया है:

  • यह लगभग 5.6 करोड़ साल पहले बनी थी।

  • यह बनने के बाद 23 मिलियन साल तक निष्क्रिय रही।

  • लगभग 5.6 मिलियन साल पहले, मेघालय की पहाड़ियों के उठने के कारण यह फॉल्ट लाइन फिर से सक्रिय हो गई।

यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से भी बड़े भूकंपों का गवाह रहा है। 2010 की एक रिसर्च के अनुसार, 1548 से 2009 के बीच म्यांमार, असम, शिलांग और बांग्लादेश में 33 शक्तिशाली भूकंप आए थे। इनमें सबसे बड़ा भूकंप 12 जून 1897 को आया था, जिसकी तीव्रता $\text{M}_w\ 8.7$ थी, जिसने लगभग 3.9 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को तबाह कर दिया था।

यह नई खोज, विशेषकर कोलकाता जैसे घनी आबादी वाले महानगरीय क्षेत्र तक इसका विस्तार, सरकारों और स्थानीय प्रशासन के लिए भूकंपीय तैयारियों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देती है।


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