पाकिस्तान को हाल ही में उन्नत अमेरिकी मिसाइलें मिलने की अटकलों पर विराम लगाते हुए, भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने स्पष्टीकरण जारी किया है। दूतावास ने उन रिपोर्टों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिनमें दावा किया जा रहा था कि पाकिस्तान को एक संशोधित सैन्य अनुबंध के तहत नई AIM-120 उन्नत मध्यम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (AMRAAM) मिलेंगी। संयुक्त राज्य अमेरिका ने शुक्रवार को साफ किया कि मौजूदा विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध में हुआ हालिया संशोधन केवल रखरखाव (Maintenance) और स्पेयर पार्ट्स के समर्थन से संबंधित है। दूतावास के अनुसार, इस संशोधन में पाकिस्तान को किसी भी नए हथियार की डिलीवरी शामिल नहीं है, जिससे पाकिस्तान को लगा यह झटका एक बड़ा कूटनीतिक स्पष्टीकरण बन गया है।
क्या था मामला?
यह पूरा विवाद 30 सितंबर को अमेरिका द्वारा किए गए एक सैन्य अनुबंध संशोधन से उपजा। इस संशोधन में पाकिस्तान सहित कई देशों के लिए मौजूदा विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंधों में रखरखाव और पुर्जों के लिए बदलाव किए गए थे। अमेरिकी रक्षा विभाग की आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में घोषणा की गई थी कि एरिजोना के टक्सन स्थित रेथियॉन कंपनी को मौजूदा AMRAAM उत्पादन अनुबंध में 41 मिलियन अमेरिकी डॉलर का संशोधन प्राप्त हुआ है। इस संशोधन से अनुबंध का कुल मूल्य 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया था। इस घोषणा के बाद, कई मीडिया आउटलेट्स, जिनमें पाकिस्तान का 'डॉन' अखबार भी शामिल था, ने यह खबर चलानी शुरू कर दी कि इस संशोधित अनुबंध का मतलब है कि अमेरिका पाकिस्तान को नई और उन्नत AIM-120 मिसाइलें देने की तैयारी कर रहा है।
अमेरिका दूतावास का कड़ा रुख
इन अटकलों के जोर पकड़ने के बाद, भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने तुरंत इस सूचना का खंडन किया। दूतावास ने स्पष्ट रूप से कहा कि: "अनुबंध संशोधन का कोई भी हिस्सा पाकिस्तान को नए AMRAAM की डिलीवरी के लिए नहीं है।" इस स्पष्टीकरण ने पाकिस्तान की उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया जो इस अनुबंध को अपनी वायुसेना को आधुनिक बनाने के एक नए अवसर के रूप में देख रहा था। अमेरिका के इस कड़े रुख से यह भी पता चलता है कि वह इस क्षेत्र में हथियारों की नई डिलीवरी को लेकर संवेदनशील है, खासकर भारत के साथ अपने मजबूत रणनीतिक संबंधों के संदर्भ में। यह घटना दर्शाती है कि अमेरिका अपने रक्षा समझौतों की प्रकृति को लेकर किसी भी गलतफहमी या गलत सूचना को फैलने से रोकना चाहता है, विशेष रूप से ऐसे समय में जब क्षेत्रीय संतुलन और सैन्य सहायता एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है।