भारत की यात्रा पर आने से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक बड़ी कूटनीतिक और सैन्य खुशखबरी मिली है। गृह युद्ध में फँसे पड़ोसी देश सूडान ने रूस को अफ्रीका में और लाल सागर के पास एक नौसैनिक बेस स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब सूडान एक गंभीर गृह युद्ध में उलझा हुआ है, और रूस लंबे समय से अफ्रीका में अपने प्रभाव का विस्तार करने की कोशिश कर रहा था।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूडान की सरकार ने रूस को दो ठिकाने—एक अफ्रीका में और दूसरा लाल सागर के पास—देने की पेशकश की है। रूस के लिए यह प्रस्ताव भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पोर्ट और हथियार की 25 साल की डील
रिपोर्ट के मुताबिक, सूडान की सरकार ने रूस को लाल सागर के पास पोर्ट इस्तेमाल करने की सुविधा और कुछ खनन के ठिकाने देने का फैसला किया है। ये सभी बेस रूस को 25 साल की लंबी अवधि के लिए दिए जाएंगे।
इस समझौते के बदले में, सूडान की सरकार को रूस से सैन्य सहायता मिलेगी। सूडान को हथियार और महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी (इंटेलिजेंस इनपुट्स) मिलेगी, जो उसे सूडान रैपिड फोर्स (RSF) लड़ाकों के खिलाफ जारी गृह युद्ध से निपटने में मदद करेगी।
अमेरिकी अखबार के मुताबिक, यदि रूस इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो पोर्ट के पास पुतिन की सेना अपना नौ-सैनिक अड्डा (Naval Base) बना सकती है। इस अड्डे पर एक साथ 4 युद्धपोत और 300 सैनिकों को रखने की व्यवस्था होगी।
अमेरिका को झटका: अफ्रीका में रूस का पहला बेस
सूडान का यह ऑफर रूस के लिए कई मायनों में अहम है:
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अफ्रीका में प्रवेश: यह रूस का अफ्रीका में पहला आधिकारिक नौसैनिक बेस होगा। सूडान के जरिए, रूस को अफ्रीकी महाद्वीप में स्थायी सैन्य उपस्थिति और रणनीतिक गहराई मिलेगी।
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अमेरिका की रणनीति को चुनौती: अमेरिका, खासकर ट्रंप प्रशासन, अफ्रीका में रूस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक रहा था। सूडान सरकार के इस नए फैसले से अमेरिका को एक बड़ा कूटनीतिक झटका लग सकता है।
लाल सागर पर नियंत्रण और सऊदी अरब को चुनौती
यह सैन्य अड्डा लाल सागर के पास स्थित होगा, जो सामरिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
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सऊदी अरब के सामने: यह पोर्ट सऊदी अरब के ठीक सामने होगा, जहाँ अमेरिका के कई सैन्य बेस स्थित हैं। यह रूस को उस क्षेत्र में सीधी पहुँच देगा जहाँ उसका प्रभाव सीमित था।
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व्यापारिक महत्व: 2,250 किलोमीटर लंबा लाल सागर व्यापारिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। दुनिया भर के तेल व्यापार का लगभग 12% हिस्सा लाल सागर के जरिए ही आता-जाता है।
लाल सागर को नियंत्रित करने के लिए अभी तक रूस और ईरान मुख्य रूप से यमन के हूती विद्रोही पर निर्भर थे। लेकिन अब सूडान के इस फैसले से रूस खुद अपना नौ-सैनिक अड्डा स्थापित कर पाएगा, जिससे वह इस महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग पर सीधे नियंत्रण स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएगा।