मुंबई, 19 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। व्हाइट हाउस ने बीते दिन कहा कि अमेरिका ने खशोगी मर्डर केस में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को छूट दी है। यानी उन पर उस केस को लेकर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। इस फैसले के बाद बाइडेन सरकार की आलोचना होने लगी। जिसकी सफाई में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि ये पहली बार नहीं है जब किसी राष्ट्राध्यक्ष को किसी तरह की छूट दी गई हो। व्हाइट हाउस के नेशनल सिक्योरिटी स्पोक्सपर्सन जॉन कर्बी का कहना है कि इन सब का दोनों देशों के रिश्तों से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन तो US और सऊदी अरब के रिलेशन पर दोबारा विचार कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि क्रूड ऑयल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक (OPEC) ने 5 अक्टूबर को तेल उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया था। इससे अमेरिका बेहद खफा है। सऊदी अरब इस समूह का प्रमुख सदस्य है।
आपको बता दे अमेरिकी सरकार ने मोदी पर करीब 10 साल तक यात्रा प्रतिबंध लगाया था। US ने ये प्रतिबंध गोधरा दंगों को कथित रूप से रोकने में फेल साबित होने के लिए मोदी पर लगाया था। अमेरिका ने पीएम मोदी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कानून लागू किया था। यह उन विदेशी अधिकारियों के खिलाफ लगाया जाता है जो धार्मिक अधिकारों के गंभीर उल्लंघन के जिम्मेदार माने जाते हैं। पिछले साल अमेरिका की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि वॉशिंगटन पोस्ट के सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या की योजना को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने मंजूरी दी थी। रिपोर्ट में यह भी बताया कहा गया कि क्राउन प्रिंस खशोगी को सऊदी अरब के लिए खतरा मानते थे। तो वही, तुर्की में इस्तांबुल स्थित संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के वाणिज्य दूतावास में 2 अक्टूबर 2018 को वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खगोशी की हत्या कर दी गई थी। इसमें वली अहद शहजादा मोहम्मद बिन सलमान की भूमिका को लेकर भी सवाल उठे थे।