कुंडली में दूसरा विवाह है तो कैसे पता चलेगा?

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कुंडली में सातवां भाव विवाह और साझेदारी का माना जाता है। ऐसे में अगर आपकी कुंडली में सातवें भाव में कोई अशुभ ग्रह जैसे- शनि, राहु-केतु स्थित है या इस भाव के स्वामी के साथ किसी भी प्रकार अशुभ संबंध है, तो यह दूसरे विवाह का संकेत हो सकता है।

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कुंडली में नवम भाव भाग्य और पूर्व कर्मो का प्रतिनिधित्व करता है। यदि नवम भाव में कोई अशुभ ग्रह या इस ग्रह के स्वामी के साथ अशुभ संबंध होंगे, तो दूसरे विवाह का संकेत हो सकता है।

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कुछ विशेष ग्रहों के संयोजन जैसे कि सातवें भाव मे शनि और बुध की युति या सातवें भाव के स्वामी का 6वें, 8वें या 12वें भाव में साथ संबंध हो, तो भी दूसरे विवाह का संकेत हो सकता है।

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अगर आपके कुंडली में सप्तम भाव में द्विस्वभाव राशि मिथुन, कन्या, धनु और मीन है, तो ऐसा माना जाता है कि यह दूसरे विवाह का संकेत हो सकता है।

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दूसरे विवाह के संयोग का पता लगाने के लिए कुंडली में अष्टम भाव देखा जाता है। ऐसे में अगर शुक्र आठवें भाव में बैठा है, तो दूसरे शादी का संकेत हो सकता है।

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अगर आपकी कुंडली में मंगल या चंद्रमा शक्तिशाली हैं या मूलांक 2, 4. 6 या 8 है, तो ऐसी स्थिति में भी दूसरे विवाह का संकेत हो सकता है।

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अगर आपकी कुंडली में शुक्र की स्थिति सही नही है, तो इसकी वजह से आपके वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ सकती है। इसकी वजह से दूसरी शादी का संकेत हो सकता है।

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