सोशल मीडिया के इस दौर में खबरें बिजली की तरह फैलती हैं—सही हों या गलत, फर्क अक्सर बाद में पता चलता है। ऐसा ही हुआ जब मंगलवारको अभिनेता धर्मेंद्र की सेहत को लेकर अफवाहों का सिलसिला शुरू हुआ। कुछ चैनलों और ऑनलाइन पोर्टलों ने बिना पुष्टि के उनके निधन तक कीखबरें चला दीं। लेकिन जब परिवार की ओर से खामोशी टूटी, तो आवाज़ आई उनकी बेटी ईशा देओल की, जिन्होंने सच्चाई सामने रखी—शालीनतासे, पर दृढ़ता के साथ।
ईशा ने इंस्टाग्राम पर लिखा कि उनके पिता की हालत स्थिर है और वे धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहे हैं। उनके शब्दों में गुस्सा नहीं था, बस एक थकान भरीसच्चाई थी—कि मीडिया की जल्दीबाज़ी कभी-कभी इंसानियत को पीछे छोड़ देती है। उन्होंने आग्रह किया कि लोगों को परिवार की निजता कासम्मान करना चाहिए और प्रार्थनाओं में शामिल होना चाहिए, न कि अफवाहों में। यह संदेश सिर्फ एक बेटी की चिंता नहीं था, बल्कि हर उस इंसानकी पुकार थी जो आज की डिजिटल अफरातफरी में सच्ची ख़बरों की उम्मीद करता है।
धर्मेंद्र, जो पीढ़ियों से दर्शकों के दिलों में बसे हैं, सिर्फ एक अभिनेता नहीं—एक भावना हैं। उनके संवाद, मुस्कान और अभिनय आज भी लाखों लोगोंकी यादों का हिस्सा हैं। ऐसे में जब उनके स्वास्थ्य को लेकर झूठी खबरें फैलती हैं, तो यह सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, पूरे देश की भावनाओं की परीक्षाहोती है। लेकिन जिस गरिमा से ईशा देओल और हेमा मालिनी ने स्थिति को संभाला, वह बताता है कि परिपक्वता क्या होती है—संवेदनशीलता केसाथ सच्चाई कहना, बिना तमाशा बनाए।
यह घटना एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर करती है कि सूचना के इस युग में जिम्मेदारी कितनी जरूरी है। खबर देना आसान है, लेकिन सही खबरदेना एक जिम्मेदारी है। ईशा देओल ने अपनी बात से वही याद दिलाया—कि शांति में भी शक्ति होती है, और सच्चाई को कहने के लिए सबसे ऊँचीआवाज़ नहीं, बस सच्चे इरादे चाहिए।
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