उन्नाव रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को निलंबित कर दिया गया था। इस हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अब सेंगर को नोटिस जारी किया है और उन्हें चार सप्ताह के भीतर जवाब देना होगा।
पीड़िता का विश्वास कायम
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्नाव रेप पीड़िता ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा था कि न्याय मिलेगा… मेरा संघर्ष जारी है और जारी रहेगा। मुझे इसका पीछा तब तक करना होगा जब तक उसे फांसी की सजा नहीं मिल जाती। तभी मुझे न्याय मिलेगा और मेरे पिता को न्याय मिलेगा।” पीड़िता की मां ने भी कहा कि अदालत ने उनके मामले को सुनने के लिए दरवाजा खोला है, और इसके लिए वे आभारी हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट का विवादित फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को निलंबित कर दिया था। इस फैसले में सेंगर को 15 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई थी, साथ ही दिल्ली छोड़ने पर प्रतिबंध और पीड़िता के पांच किलोमीटर के दायरे में न आने की शर्त भी लगाई गई थी। इस फैसले के बाद पीड़िता ने कहा, “मुझे नहीं पता कि उस जज के दिमाग में क्या चल रहा था… केवल वही जानते हैं कि उनके मन में उसके लिए कितना स्नेह था कि उन्होंने दया दिखाई।”
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को विवादित बताते हुए रोक लगा दी है और सेंगर को नोटिस जारी किया है। फिलहाल सेंगर जेल में ही रहेंगे, जहां वह पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में सजा काट रहे हैं।
मामला और पृष्ठभूमि
उन्नाव रेप केस का मामला साल 2017 में सामने आया था। उस समय कुलदीप सिंह सेंगर भाजपा के बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके बाद सेंगर ने हाईकोर्ट में अपील की, जहां उन्हें शर्तों के साथ जमानत मिल गई।
इस केस ने देशभर में सुर्खियां बटोरीं, खासकर जब पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत हुई। इसके बाद पीड़िता ने लगातार न्याय की मांग की। हाईकोर्ट का सेंगर को सजा निलंबित करने वाला आदेश व्यापक आलोचना का विषय बन गया।
सीबीआई की भूमिका
यह केस सीबीआई द्वारा जांच किया जा रहा है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता ने सेंगर और कुछ सीबीआई अधिकारियों के बीच सांठगांठ के संकेत भी दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए तुरंत रोक लगाई और सेंगर को नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट का महत्व
सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में संवेदनशीलता और न्याय की प्राथमिकता को दिखाया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सेंगर को अब जेल में रहकर नोटिस का जवाब देना होगा और किसी भी तरह की जमानत या निलंबन फिलहाल लागू नहीं होगा।