आम आदमी पार्टी (आप) का दावा है कि गोवा में लंबे समय से एक गंभीर कमी महसूस की जा रही थी—स्वास्थ्य सेवाएं हर घर तक नहीं पहुंच पाती थीं। लोगों को छोटी-सी बीमारी के लिए भी शहर के बड़े अस्पतालों तक जाना पड़ता था। समय, पैसा और ऊपर से महंगी दवाएं, इन सबने मिलकर आम लोगों के लिए इलाज को एक बड़ा तनाव बना दिया था। सरकारें आईं और गईं, बड़े-बड़े भाषण और वादे भी हुए, लेकिन लोगों की बीमारी और परेशानियां वहीं की वहीं रहीं।
आप के मुताबिक, उनकी पार्टी ने एक अलग और जमीन से जुड़ा कदम उठाया। उनका मिशन स्पष्ट है: "इलाज जनता तक पहुंचना चाहिए, जनता को अस्पताल तक नहीं।" इसी सोच के साथ गोवा में बड़े पैमाने पर हेल्थ कैंप आयोजित किए गए, जिससे इलाज सीधे लोगों तक पहुंचा। आज, आप का दावा है कि तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। 800 से अधिक हेल्थ कैंप आयोजित हो चुके हैं, और 20,000 से अधिक मरीजों का इलाज फ्री या बेहद सस्ते में हुआ है।
प्रचार नहीं, काम करके दिखाया: इलाज सीधे लोग
आप का मिशन स्पष्ट है: न लंबी लाइनें, न सिफारिश—सीधा इलाज, सीधे लोग।
आप ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी ने बजट और घोषणाओं की बात तो बहुत की, लेकिन जमीन पर जनता को फायदा नहीं मिला। कभी डॉक्टर नहीं मिले, कभी दवा नहीं मिली, और कई जगह अस्पताल तक पहुंचने का रास्ता ही बहुत लंबा और मुश्किल था।
वहीं दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी ने प्रचार पर नहीं, बल्कि काम पर जोर दिया। आप का दावा है कि यह काम अब हर मोहल्ले और गांव में महसूस किया जा सकता है। लोग अब खुद बताते हैं कि हेल्थ कैंप कब होते हैं, कौन-सा इलाज मिलता है, और कौन-सी दवा फ्री में उपलब्ध है। जो चीज पहले गोवा के लोगों के लिए कल्पना जैसी थी, आज वह उनकी रोजमर्रा की हकीकत है।
सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में टूटा भरोसा फिर से जिंदा
आप का कहना है कि गोवा में अब राजनीति नारों पर नहीं, बल्कि सीधे अनुभव पर चल रही है। पहले इलाज के लिए लोग सोच-समझ कर कदम उठाते थे, अब घर से कुछ कदम दूर ही राहत मिलती है।
गोवा में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर लोगों का भरोसा टूट चुका था, लेकिन ये हेल्थ कैंप लोगों के बीच वह भरोसा फिर से जिंदा कर रहे हैं। यही वजह है कि पंचायत चुनाव से पहले गोवा में राजनीतिक हवा बदली हुई दिख रही है। लोग पहली बार कह रहे हैं कि बदलाव सिर्फ़ कागज़ पर नहीं, उनके जीवन में उतरा है।
आप ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि गोवा धीरे-धीरे समझने लगा है कि असली राजनीति वही है जो जिंदगी आसान करे। जब इलाज पास मिले, टेस्ट फ्री हों, दवा हाथ में आए, और बीमारी एक बोझ न बने, तभी सरकार का महत्व दिखता है। आज हजारों परिवार यही बदलाव महसूस कर रहे हैं। पंचायत चुनाव करीब हैं, और चर्चा अब भाषणों-पोस्टरों पर नहीं, बल्कि काम पर हो रही है। लोग कह रहे हैं: "जिसने इलाज घर तक पहुँचाया, भरोसा उसी पर।"