बिहार विधानसभा चुनावों के नज़दीक आते ही विपक्षी गठबंधन 'INDIA' के भीतर सीट बंटवारे को लेकर चल रहा घमासान अब सार्वजनिक रूप से सामने आ गया है. गठबंधन की प्रमुख पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) द्वारा आनन-फानन में कई नेताओं को पार्टी सिंबल (चुनाव चिह्न) दिए जाने और फिर कुछ ही घंटों में इसे वापस लेने के नाटकीय घटनाक्रम ने गठबंधन की एकता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
दिल्ली दरबार में नहीं बनी बात
सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध कम करने की कोशिश में, RJD नेता तेजस्वी यादव दिल्ली पहुंचे थे. हालांकि, उनकी कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से प्रत्यक्ष मुलाकात नहीं हो पाई. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व से फोन पर बातचीत की. इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से दावा किया कि गठबंधन में "सब ठीक है" और सीट शेयरिंग का मुद्दा जल्द सुलझ जाएगा. हालांकि, इस बातचीत के कुछ ही देर बाद, RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पटना लौटने और 14 विधानसभा सीटों के लिए पार्टी सिंबल बांटने की ख़बर ने सबको चौंका दिया. देर शाम यह सिंबल वितरण हुआ, जिसमें पटना के मनेर से विधायक भाई वीरेंद्र, परबत्ता से डॉ. संजीव कुमार, नोखा से अनीता देवी, मधेपुरा से चंद्रशेखर और हिलसा से शक्ति यादव जैसे प्रमुख नेताओं के नाम शामिल थे.
सिंबल वापसी का नाटकीय मोड़
इस सिंबल वितरण के कुछ ही घंटों बाद, देर रात, RJD ने सभी 14 नेताओं से पार्टी सिंबल वापस ले लिया. सूत्रों के अनुसार, यह अप्रत्याशित कदम गठबंधन के अन्य सहयोगियों, विशेष रूप से कांग्रेस और वाम दलों, की कड़ी आपत्ति के बाद उठाया गया. सहयोगियों ने यह स्पष्ट कर दिया कि सीट बंटवारे पर अंतिम सहमति बनने से पहले एकतरफा सिंबल वितरण करना गठबंधन धर्म के ख़िलाफ़ है और यह बातचीत की प्रक्रिया को बाधित करेगा. बताया जा रहा है कि इस जल्दबाजी में सिंबल बांटने के फैसले ने गठबंधन के भीतर अविश्वास और नाराजगी को जन्म दिया. एक वरिष्ठ गठबंधन नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "जब दिल्ली में बातचीत चल रही थी, तब इस तरह का कदम उठाना यह दर्शाता है कि RJD अपनी शर्तों पर सीट बंटवारा थोपना चाहती है. यह गठबंधन के लिए सही संकेत नहीं है."
गठबंधन की एकजुटता पर सवाल
यह घटना दर्शाती है कि 'INDIA' गठबंधन, जिसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को टक्कर देनी है, वह अभी भी आंतरिक कलह और खींचतान से जूझ रहा है. बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य में, जहाँ विधानसभा की 243 सीटें हैं, सीटों को लेकर RJD का आक्रामक रुख कांग्रेस को असहज कर रहा है, जो राज्य में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहती है. जानकारों का मानना है कि RJD ने सिंबल वितरित करके एक तरह का दबाव बनाने का दांव खेला था ताकि सीट बंटवारे की बातचीत में उसे मनमाफिक सीटें मिल सकें. हालांकि, यह दांव उल्टा पड़ गया और सहयोगियों के दबाव में उसे पीछे हटना पड़ा.
फिलहाल, गठबंधन में सीट बंटवारे का पेंच फंसा हुआ है. यह घटनाक्रम विपक्षी खेमे में तनाव और अस्थिरता की ओर इशारा करता है, जिसे NDA करीब से देख रहा है. अब देखना यह होगा कि RJD और कांग्रेस के नेतृत्व वाले इस गठबंधन में यह विवाद कब तक थमता है और क्या वे एकजुट होकर चुनाव लड़ने की स्थिति में आ पाते हैं. इस आंतरिक खींचतान का सीधा फायदा NDA को मिल सकता है. नेताओं के बीच एकता और तालमेल ही बिहार में INDIA गठबंधन की सफलता की कुंजी होगी.