बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के नामांकन की समय सीमा में अब महज 31 घंटे बचे हैं, और इस नाजुक मोड़ पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं दिख रहा है। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के मुखिया मुकेश सहनी और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध अब निर्णायक 'अल्टीमेटम' की स्थिति तक पहुँच गया है। सूत्रों के मुताबिक, अगर सहनी अपनी मांगों पर अड़े रहे, तो VIP की महागठबंधन में वापसी से पहले ही दरवाजे बंद हो सकते हैं।
सीटों पर तकरार: 24 बनाम 15
महागठबंधन के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, VIP अध्यक्ष मुकेश सहनी 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए कम से कम 24 सीटों की मांग कर रहे हैं। वहीं, महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे तेजस्वी यादव इस बार ज्यादा रियायत देने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने कथित तौर पर साफ कर दिया है कि VIP को 15 सीटों से अधिक नहीं मिलेंगी।
महागठबंधन के एक सूत्र ने बताया कि बातचीत अब "ब्रेकिंग पॉइंट" पर है। सहनी अगर कुछ सीटों की मांग पर पीछे हटते हैं, तो डील संभव है, अन्यथा VIP की विदाई लगभग तय है। यह स्थिति 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव के इतिहास को दोहराती दिख रही है, जब सहनी सीटों से असंतुष्ट होकर अंतिम समय में महागठबंधन छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो गए थे। उस वक्त, एनडीए से उन्हें 11 सीटें मिली थीं, जिनमें से VIP ने 4 पर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में राजनीतिक उठापटक के कारण सहनी एनडीए से भी अलग हो गए।
डिप्टी सीएम बनने के दावे पर भी घमासान
हाल ही में मुकेश सहनी ने सार्वजनिक रूप से यह दावा किया था कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो वह उप-मुख्यमंत्री बनेंगे। जब उनसे इस दावे पर अन्य सहयोगी दलों की संभावित नाराज़गी के बारे में पूछा गया, तो सहनी ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने तर्क दिया, “अगर कुछ लोग तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री नहीं मानते, तो क्या बिहार बिना मुख्यमंत्री के चलेगा? अगर तेजस्वी मुख्यमंत्री बन सकते हैं, तो मैं डिप्टी सीएम क्यों नहीं?” सहनी ने यह भी दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी उन्हें उप-मुख्यमंत्री पद के योग्य मानती है, और "जहां सहनी जाते हैं, वहीं सरकार बनती है।"
तेजस्वी की ‘लक्ष्मण रेखा’ और अल्टीमेटम
सहनी के इन बयानों के बावजूद, तेजस्वी यादव पिछली बार की तरह नरम रुख अपनाते नहीं दिख रहे हैं। सीटों की मांग को लेकर VIP को अब एक सख्त अल्टीमेटम दिया गया है। महागठबंधन के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि "अब या तो सहनी अपनी मांगें कम करें, या गठबंधन से बाहर हो जाएं।"
मुकेश सहनी की राजनीतिक ताकत निषाद, मल्लाह और नाविक समुदायों के बीच उनके मजबूत प्रभाव में निहित मानी जाती है। हालांकि, बार-बार पाला बदलने के कारण उन्हें 'सीटों के सौदेबाज़' के रूप में भी देखा गया है, जिससे उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहे हैं।
नामांकन की अंतिम घड़ी नजदीक आने के साथ ही, अब सवाल यह है कि क्या मुकेश सहनी एक बार फिर अंतिम समय पर कोई बड़ा राजनीतिक फैसला लेंगे, या तेजस्वी यादव की सख्ती के सामने झुककर महागठबंधन में अपनी जगह बचा पाएंगे? इस खींचतान का परिणाम बिहार के चुनावी समीकरणों पर सीधा असर डालेगा।