आवारा कुत्तों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई जारी है। कोर्ट ने साफ किया है कि कुत्तों को मारने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें रिहायशी इलाकों से हटाकर समस्या का समाधान करने पर जोर दिया जा रहा है। जस्टिस नाथ ने कहा कि यह मामला जल्द सुलझाना जरूरी है क्योंकि कुत्तों के डर के कारण लोग अपने बच्चों को बाहर नहीं भेज पा रहे हैं। जस्टिस विक्रम नाथ ने भी कहा कि किसी भी देश में दो पक्ष होते हैं — एक मुखर होता है और दूसरा सहने वाला, दोनों के हितों का ध्यान रखना आवश्यक है।
सुनवाई की विशेषताएं:
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चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इस मामले को तीन जजों की बेंच को सौंपा है जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया शामिल हैं।
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यह तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
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इससे पहले की दो जजों की बेंच ने दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम्स में भेजने का आदेश दिया था, जिसे जनता ने विरोध किया था।
मुद्दे का सार:
सुप्रीम कोर्ट आवारा कुत्तों को मारने के पक्ष में नहीं है, बल्कि समस्या का समुचित और मानवीय समाधान निकालने पर जोर दे रही है। इसका उद्देश्य कुत्तों और लोगों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।