भारत सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि संकट की घड़ी में वह अपने नागरिकों को हर हाल में सुरक्षित देश वापस लाने में सक्षम है। ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव के बीच ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत 110 भारतीय छात्रों का पहला दल सुरक्षित दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंच चुका है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने इन छात्रों का खुद एयरपोर्ट पर स्वागत किया और मीडिया से बातचीत में सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
क्या है ऑपरेशन सिंधु?
ईरान-इजरायल युद्ध के खतरे के बीच भारत सरकार ने अपने फंसे नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए एक विशेष राहत अभियान शुरू किया है, जिसका नाम दिया गया है "ऑपरेशन सिंधु"। इसका उद्देश्य युद्धग्रस्त या तनावग्रस्त इलाकों में रह रहे भारतीयों को सुरक्षित निकाल कर देश लाना है।
इस ऑपरेशन की शुरुआत ईरान में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों और कामकाजी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई थी। जैसे ही युद्ध की आशंका प्रबल हुई, भारत सरकार ने वहां की स्थिति का मूल्यांकन किया और विदेश मंत्रालय के नेतृत्व में रेस्क्यू प्लान पर काम शुरू किया।
दिल्ली एयरपोर्ट पर भावनात्मक दृश्य
गुरुवार देर रात जब फ्लाइट नंबर AI-1950 दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरी तो परिजनों और सरकार के अधिकारियों ने भारतीय छात्रों का ताली बजाकर और फूलों से स्वागत किया। छात्रों की आंखों में राहत के आंसू थे। कई ने कहा कि “हमें यकीन नहीं हो रहा कि इतनी जल्दी और इतनी सुरक्षित वापसी हो गई।”
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने मीडिया को बताया:
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के निर्देश पर विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास लगातार स्थानीय अधिकारियों से संपर्क में हैं। ईरान में फंसे हर भारतीय को सुरक्षित घर लाना हमारी प्राथमिकता है। यह सिर्फ एक शुरुआत है।”
तुर्कमेनिस्तान से भी जल्द वापसी
मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने यह भी जानकारी दी कि तुर्कमेनिस्तान में भी कई भारतीय नागरिक फंसे हुए हैं, जिन्हें जल्द भारत लाया जाएगा। इसके लिए आज एक और विशेष विमान रवाना किया जा रहा है। यह विमान तुर्कमेनिस्तान के अश्काबाद एयरपोर्ट पर उतरेगा और वहां से भारतीयों को लेकर भारत लौटेगा।
उन्होंने कहा:
“हमारी टीमें चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। सभी भारतीयों को जहां भी वे फंसे हैं, वहां से सुरक्षित निकालना हमारा लक्ष्य है।”
विदेश मंत्रालय की सक्रियता
ईरान में भारतीय दूतावास लगातार स्थानीय सरकार और भारतीय नागरिकों के संपर्क में है। एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है, जिससे वहां रह रहे लोग तुरंत मदद मांग सकते हैं। दूतावास ने छात्रों के रहने, खाने और स्वास्थ्य सुविधाओं की भी निगरानी शुरू कर दी है।
विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया है कि किसी भी भारतीय को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जाएगा, और संकट की इस घड़ी में भारत सरकार हर नागरिक के साथ खड़ी है।
छात्रों का अनुभव
ईरान से लौटे एक छात्र रवि चौधरी, जो तेहरान यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, ने बताया:
“हालात लगातार बिगड़ रहे थे। हमें डर था कि कोई मिसाइल हमला हो सकता है। जब हमें दूतावास से कॉल आया और एयरपोर्ट के लिए बुलाया गया, तो हम भावुक हो गए।”
एक अन्य छात्रा शिवानी मेहता ने बताया:
“मैं पहली बार भारत से बाहर पढ़ाई करने आई थी। कभी नहीं सोचा था कि ऐसी स्थिति भी देखनी पड़ेगी। हम भारत सरकार के बेहद आभारी हैं।”
विपक्ष और आम जनता की प्रतिक्रियाएं
जहां एक ओर सरकार के इस रेस्क्यू ऑपरेशन की सोशल मीडिया पर सराहना हो रही है, वहीं विपक्ष भी इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा:
“ऑपरेशन सिंधु एक कुशल और जिम्मेदार विदेश नीति की मिसाल है। हम हर संकट में भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करें, यही उम्मीद है।”
निष्कर्ष: भारत सरकार की तेजी और संकल्प
‘ऑपरेशन सिंधु’ इस बात का प्रमाण है कि भारत आज अपनी विदेश नीति और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर जितना मजबूत और गंभीर है, उतना पहले कभी नहीं था। चाहे यूक्रेन-रूस युद्ध हो या अब ईरान-इजराइल संघर्ष, भारत सरकार ने हर बार समय रहते रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर अपने नागरिकों को सुरक्षित घर लौटाया है।
अब सभी की नजरें तुर्कमेनिस्तान और अन्य क्षेत्रों से आने वाली अगली उड़ानों पर हैं। सरकार ने यह साफ कर दिया है कि कोई भी भारतीय नागरिक अकेला नहीं है — देश और सरकार हर कदम पर साथ है।