भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके तीन अन्य साथी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए रविवार शाम को एक विशेष विदाई और भोज समारोह का आयोजन किया गया। यह समारोह भारतीय समयानुसार शाम 7:25 बजे आयोजित किया गया, जो एक्सिओम-4 मिशन के 18-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर मिशन के समापन से ठीक पहले हुआ। शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों की पृथ्वी पर वापसी सोमवार को कैलिफोर्निया के तट पर होने की उम्मीद है। यह मिशन 25 जून को लॉन्च हुआ था और 26 जून को आईएसएस पर पहुंचा था। इस फेयरवेल समारोह में शुभांशु शुक्ला ने भारत के लिए एक खास संदेश दिया, उन्होंने कहा कि "41 साल पहले एक भारतीय अंतरिक्ष में गया था जिसने हमें बताया था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है। मैं आपको आज फिर से बता सकता हूं कि आज का भारत अभी भी सारे जहां से अच्छा लगता है।"
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में रचा इतिहास
एक्सिओम-4 मिशन के साथ भारत ने पहली बार किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री को आईएसएस भेजा। इस मिशन का नेतृत्व कर रहे शुभांशु शुक्ला इतिहास रचते हुए दूसरे भारतीय बने जो अंतरिक्ष में गए। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत रूस के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन मिशन के तहत अंतरिक्ष गए थे। एक्सिओम स्पेस के एक्स हैंडल पर विदाई समारोह का लाइवस्ट्रीम भी किया गया, जिससे दुनियाभर के लोग इस खास मौके को देख सके।
मिशन में कौन-कौन शामिल थे?
इस मिशन में कुल चार अंतरिक्ष यात्री थे — क्रू कमांडर पेगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला, मिशन विशेषज्ञ स्लावोस्ज उज़्नांस्की-विस्निवस्की (पोलैंड से) और मिशन विशेषज्ञ टिबोर कापु (हंगरी से)। ये सभी भारतीय समयानुसार सोमवार को शाम 4:35 बजे आईएसएस से पृथ्वी के लिए प्रस्थान करेंगे। अनडॉकिंग का सीधा प्रसारण नासा द्वारा किया जाएगा। आईएसएस पर इस वक्त कुल 11 अंतरिक्ष यात्री हैं, जिनमें सात एक्सपेडिशन 73 के और चार एक्सिओम-4 के हैं।
आईएसएस पर अंतिम भोज
मिशन के आखिरी दिन, आईएसएस पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने छह देशों के विभिन्न मेनू का भोज मनाया। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री जॉनी किम ने सोशल मीडिया पर बताया कि यह उनके जीवन के सबसे यादगार पलों में से एक था। इस भोज में चिकन और बीफ फजीटा जैसे व्यंजन शामिल थे, और मीठे में कंडेंस्ड मिल्क और अखरोट से बने केक का आनंद लिया गया। अंतरिक्ष यात्रियों ने इस मौके पर विभिन्न देशों के बीच एकता और दोस्ती का जश्न मनाया।
अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोग
शुभांशु शुक्ला ने इस मिशन के दौरान कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। उनमें से एक था “मायोजेनेसिस” नामक जैव विज्ञान ग्लोवबॉक्स (LSG) के तहत प्रयोग, जिसका उद्देश्य यह समझना है कि अंतरिक्ष में रहने से मानव कंकाल की मांसपेशियां क्यों कमजोर हो जाती हैं। इस शोध से न केवल अंतरिक्ष यात्रियों की समस्याओं का समाधान हो सकेगा, बल्कि मांसपेशियों से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को भी फायदा होगा।
इसके अलावा, उन्होंने माइक्रोएल्गी (सूक्ष्म शैवाल) पर भी शोध किया, जो भविष्य में अंतरिक्ष में खाद्य, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल के स्रोत के रूप में काम आ सकते हैं। मिशन में स्पेससूट की जांच, एक्सरसाइज अनुसंधान, मस्तिष्क की गतिविधियों और संज्ञानात्मक क्षमता की जांच, रेडिएशन डोज की गणना समेत कई प्रयोग किए गए।
माइक्रोग्रैविटी में रक्त प्रवाह पर अध्ययन
मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की गति और दिशा का अध्ययन करने के लिए उन्होंने अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग किया। यह अध्ययन समझने में मदद करेगा कि माइक्रोग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण की कमी की स्थिति में मस्तिष्क में रक्त कैसे बहता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत पर पड़ने वाले प्रभावों को कम किया जा सके।
स्पलैशडाउन और पुनर्वास
मिशन के समाप्ति के बाद शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल बनने के लिए लगभग सात दिनों का पुनर्वास कार्यक्रम मिलेगा, जो एक फ्लाइट सर्जन की निगरानी में होगा। भारतीय समयानुसार सोमवार को दोपहर 2:25 बजे वे अपने स्पेस सूट पहनकर अंतरिक्ष यान में बैठेंगे और पृथ्वी की यात्रा शुरू करेंगे।
इसरो द्वारा मिशन पर खर्च
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इसरो ने शुभांशु शुक्ला की आईएसएस यात्रा पर लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए। इस अनुभव से भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ को 2027 में सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
इस प्रकार शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों का एक्सिओम-4 मिशन न केवल भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि भविष्य के लिए भी वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टि से नई उम्मीदें जगाता है। इस मिशन से मिले अनुभव और जानकारियां भारत के मानव अंतरिक्ष अभियान को नई उड़ान देने में मदद करेंगी।