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दिल्ली कार ब्लास्ट: विस्फोटक का कोड वर्ड था ‘शिपमेंट और पैकेज’, डॉ. मुजम्मिल की डायरी से ऐसे हुआ खुलासा

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Posted On:Thursday, November 13, 2025

नई दिल्ली। 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट की जाँच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। फरीदाबाद से गिरफ्तार आतंकी डॉ. मुजम्मिल की डायरी से पता चला है कि आतंकी समूह अपने विस्फोटक सामग्री के लिए 'शिपमेंट और पैकेज' जैसे गुप्त कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे। यह जानकारी आतंकवादी मॉड्यूल के संचार और साजिश के स्तर को समझने में सुरक्षा एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

एन्क्रिप्टेड चैट और कोड वर्ड का जाल

जाँच सूत्रों के मुताबिक, आतंकी विदेशी हैंडलर्स से संपर्क साधने के लिए एन्क्रिप्टेड रूट माध्यम का उपयोग करते थे। इन्हीं सुरक्षित चैट्स पर उन्हें हमले को अंजाम देने के आदेश मिलते थे। विस्फोटक सामग्री, जो अमोनियम नाइट्रेट, ऑक्साइड और फ्यूल ऑयल जैसे रसायनों को मिलाकर तैयार की जाती थी, उसे चैट और नोटबुक में सीधे नाम से नहीं लिखा जाता था। आतंकी डॉक्टर विस्फोटक को चतुराई से 'शिपमेंट' और 'पैकेज' जैसे कोड वर्ड में दर्ज करते थे।

डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल की डायरी

सुरक्षा एजेंसियों के हाथ हाल ही में आतंकी डॉ. उमर (जो ब्लास्ट में मारा गया) और फरीदाबाद से गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल की एक साझा डायरी लगी है। यह डायरी मंगलवार और बुधवार को अलफलाह यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर डॉ. उमर के रूम नंबर 4 और डॉ. मुजम्मिल के रूम नंबर 13 से मिली है। इसके अलावा, पुलिस को एक और डायरी मुजम्मिल के उस कमरे से भी मिली है जहाँ से पुलिस ने पहले ही धौज में 360 किलो विस्फोटक बरामद किया था। यह स्थान अलफलाह यूनिवर्सिटी से महज़ 300 मीटर की दूरी पर स्थित है।

इन डायरियों और नोटबुक्स में कई कोड वर्ड्स का इस्तेमाल किया गया है, जिनका सीधा रेफरेंस 8 से 12 नवंबर के बीच की घटनाओं या योजनाओं से जुड़ता दिख रहा है। सूत्रों ने यह भी खुलासा किया है कि डायरी के अंदर 'ऑपरेशन' शब्द का भी कई बार इस्तेमाल किया गया है, जो उनकी सुनियोजित आतंकी साजिश की ओर इशारा करता है।

जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े तार

जांच एजेंसियों का मानना है कि यह White Collar Terror Module पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था। इस खुलासे ने दिल्ली धमाका मामले से जुड़े कई अनसुलझे सवालों के जवाब मिलने की संभावना बढ़ा दी है। ये डायरियाँ केवल विस्फोटक की पहचान ही नहीं, बल्कि आतंकियों की अगली योजनाओं और उनके नेटवर्क के बारे में भी अहम सबूत दे सकती हैं। सुरक्षा एजेंसियाँ अब इन कोड वर्ड्स को डिकोड करने और आतंकी नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के लिए गहनता से काम कर रही हैं।


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