मुंबई, 06 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। देवस्थान विभाग की वरिष्ठ नागरिक तीर्थयात्रा योजना के तहत शुक्रवार शाम जयपुर के दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन से पहली वातानुकूलित ट्रेन रामेश्वरम के लिए रवाना हुई। ‘राजस्थान वाहिनी भारत गौरव पर्यटक ट्रेन’ से 779 श्रद्धालु तीर्थ यात्रा पर निकले, जिनमें जयपुर के 600 और सवाईमाधोपुर के 179 यात्री शामिल हैं। इस ट्रेन को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और यात्रियों के डिब्बों तक जाकर उन्हें शुभकामनाएं दीं। ट्रेन रवाना होने से पहले स्टेशन परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। यात्रियों को तुलसी माला पहनाई गई और पटवस्त्र ओढ़ाकर यात्रा का शुभारंभ कराया गया। स्टेशन पर अयोध्या के रामलला की आकर्षक झांकी और प्रतीकात्मक कांवड़ मॉडल भी सजाया गया था, जिससे धार्मिक माहौल बना रहा। यह तीर्थ यात्रा रामेश्वरम के प्रसिद्ध रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग मंदिर, धनुषकोड़ी, ब्रह्मकुंड और मदुरै के मीनाक्षी मंदिर के दर्शन कराएगी। ट्रेन सवाईमाधोपुर होते हुए गंतव्य तक पहुंचेगी। देवस्थान विभाग ने यात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने के लिए ठहरने, भोजन, चिकित्सा और परिवहन सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की हैं। प्रत्येक कोच में दो प्रशिक्षित कर्मचारी, एक डॉक्टर और दो नर्सिंग स्टाफ मौजूद रहेंगे। इस यात्रा को खास बनाने के लिए पहली बार लोकेशन शेयरिंग की सुविधा देने वाला मोबाइल ऐप भी एक्टिव किया गया है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने यात्रा के शुभारंभ पर कहा कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों को वातानुकूलित ट्रेन से तीर्थ यात्रा करवा रही है ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि सरकार इन्हें परिवार का हिस्सा मानती है और यात्रा के दौरान प्रतिनिधि बेटा-बेटी की तरह उनके साथ रहेंगे। उन्होंने ट्रेन में ऑडियो सिस्टम लगाकर भजन सुनाने की बात भी कही ताकि यात्री आनंद और शांति का अनुभव कर सकें। मुख्यमंत्री ने यह उम्मीद भी जताई कि जब ये श्रद्धालु दर्शन करके लौटेंगे तो अपने अनुभवों से सनातन संस्कृति को और मजबूत बनाएंगे। देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने जानकारी दी कि राज्य सरकार की इस योजना के तहत कुल 50 हजार वरिष्ठ नागरिकों को देशभर के प्रमुख धार्मिक स्थलों की तीर्थयात्रा पर भेजा जाएगा। रामेश्वरम इस योजना की पहली यात्रा है और आने वाले समय में अयोध्या, द्वारका, उज्जैन, तिरुपति जैसे तीर्थ स्थलों के लिए भी विशेष ट्रेनें चलाई जाएंगी। यह ट्रेन सिर्फ एक यात्रा माध्यम नहीं बल्कि राजस्थान की कला, संस्कृति और शौर्यगाथा का प्रतीक भी है। ट्रेन के 14 कोचों में से 10 कोचों को राज्य की समृद्ध परंपराओं, दुर्गों, मंदिरों, नृत्यों, वाद्यों और उत्सवों की थीम पर सजाया गया है। कोचों में मरुधरा की सांस्कृतिक झलक के साथ-साथ एक कोच भारतीय सेना में राजस्थान के योगदान को समर्पित है, जिसमें जैसलमेर वॉर म्यूजियम, तनोट बॉर्डर और महाजन फायरिंग रेंज को दिखाया गया है। पैंट्री कार में स्थानीय व्यंजनों जैसे केर-सांगरी, बाजरे की रोटी, राबड़ी, लस्सी और कुल्फी का स्वाद यात्रियों को मिलेगा। ट्रेन के डिजाइन में ऊंट, बाघ, गाय और कृष्णमृग जैसे पारंपरिक प्रतीकों को शामिल किया गया है। इसे बाहर से देखने पर यह ट्रेन ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ जैसी राजसी अनुभूति देती है।