मुंबई, 07 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जम्मू-कश्मीर के कीरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़े कथित भ्रष्टाचार मामले में चार्जशीट दाखिल होने के पंद्रह दिन बाद पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने चुप्पी तोड़ी है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती मलिक ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया और मामले की सच्चाई देश के सामने रखी। उन्होंने कहा कि वे पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती हैं और किडनी संबंधी गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। दो दिन पहले तबीयत थोड़ी ठीक थी लेकिन अब उन्हें फिर से ICU में शिफ्ट किया गया है और हालत गंभीर है। उन्होंने कहा कि आज अगर उनके पास दौलत होती तो किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवा रहे होते।
मलिक ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि जिस टेंडर को लेकर उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है, उसे उन्होंने खुद रद्द किया था और इसकी जानकारी सीधे प्रधानमंत्री को दी थी। उन्होंने लिखा कि उनका तबादला होने के बाद ही उस टेंडर को आगे बढ़ाया गया। उन्होंने खुद को किसान समाज का बताते हुए कहा कि वह न डरने वाले हैं और न ही झुकने वाले। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार और सरकारी एजेंसियां उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उनका अब तक का राजनीतिक जीवन ईमानदारी से भरा रहा है। सत्यपाल मलिक ने बताया कि उन्होंने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में कई ऊंचे पदों पर रहते हुए भी कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और आज भी एक कमरे के मकान में रहते हैं तथा कर्ज में डूबे हुए हैं। सत्यपाल मलिक ने यह भी याद दिलाया कि जब वे राज्यपाल थे, तब उन्हें 150 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। उन्होंने खुद को चौधरी चरण सिंह का अनुयायी बताते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा किसानों और कमजोर तबकों की आवाज़ उठाई। मलिक ने यह भी कहा कि वे किसानों के आंदोलन और महिला पहलवानों के संघर्ष में बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ के साथ खड़े रहे और पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों के पक्ष में भी आवाज़ उठाई।
CBI ने 22 मई को सत्यपाल मलिक समेत पांच लोगों के खिलाफ कीरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़ी 2,200 करोड़ रुपए की सिविल वर्क डील में भ्रष्टाचार के आरोप में चार्जशीट दाखिल की थी। इससे पहले 22 फरवरी 2024 को CBI ने सत्यपाल मलिक के ठिकानों और दिल्ली के 29 अन्य स्थानों पर छापेमारी की थी। सत्यपाल मलिक ने अक्टूबर 2021 में राजस्थान के झुंझुनूं में एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया था कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए उन्हें दो फाइलों पर हस्ताक्षर के बदले 150-150 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई थी, जिसमें एक बड़े उद्योगपति और दूसरी उस समय की गठबंधन सरकार में एक मंत्री से जुड़ी थी। उन्होंने यह भी बताया था कि सचिवों ने उन्हें घोटाले की जानकारी दी, जिसके बाद उन्होंने दोनों फाइलें रद्द कर दी थीं। CBI ने इस पूरे प्रकरण में दो एफआईआर दर्ज की हैं। पहली एफआईआर जम्मू-कश्मीर की स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत एक प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी को 60 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाने से संबंधित है, जबकि दूसरी एफआईआर 2,200 करोड़ के कीरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में सिविल वर्क के ठेके में भ्रष्टाचार को लेकर है। इन दोनों मामलों की जांच CBI कर रही है।