मुंबई, 19 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम की भाजपा सरकार पर राज्य में रह रहे बांग्ला भाषी लोगों को धमकाने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि असम में जो लोग सभी धर्मों और भाषाओं के साथ शांति से रहना चाहते हैं, उन्हें मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार डरा रही है। ममता का कहना है कि बांग्ला देश की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है और असम में भी इसका व्यापक इस्तेमाल होता है, लेकिन जो लोग अपनी भाषा और संस्कृति का सम्मान करना चाहते हैं, उन्हें डराया जा रहा है, जो असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम अपनी जनता से नहीं, बल्कि सीमा पार से हो रही अवैध घुसपैठ से जूझ रहा है, जिससे राज्य की जनसंख्या संरचना में बड़ा बदलाव आ रहा है। उन्होंने दावा किया कि कुछ जिलों में हिंदू अब अल्पसंख्यक बनने के कगार पर हैं और राज्य अपनी संस्कृति और पहचान को बचाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ममता बनर्जी इस विषय पर राजनीति कर रही हैं। सरमा ने कहा कि असम में असमिया, बांग्ला, बोडो, हिंदी सहित सभी भाषाएं और समुदाय मिलजुलकर रहते हैं, लेकिन अगर कोई राज्य अपनी सीमाएं और सांस्कृतिक पहचान नहीं बचाएगा तो वह टिक नहीं पाएगा।
इससे पहले 16 जुलाई को ममता बनर्जी ने भाजपा शासित राज्यों में बंगाली बोलने वालों के साथ कथित भेदभाव के खिलाफ कोलकाता में पैदल मार्च निकाला था। ममता ने आरोप लगाया कि भाजपा का रवैया बंगालियों के प्रति अपमानजनक है और यह उन्हें शर्मिंदा करता है। उन्होंने कहा कि अब वह और अधिक बांग्ला में बोलेंगी, चाहे उन्हें इसके लिए डिटेंशन कैंप में ही क्यों न रखा जाए। इस रैली में अभिषेक बनर्जी सहित टीएमसी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे। रैली कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से धर्मतला के दोरीना क्रॉसिंग तक निकाली गई, जबकि राज्य के अन्य जिला मुख्यालयों में भी विरोध प्रदर्शन हुए। ममता बनर्जी की इस रैली को ओडिशा में अवैध बांग्लादेशियों को हिरासत में लेने, दिल्ली में उनके खिलाफ अभियान चलाने और असम में एक बंगाली किसान को विदेशी न्यायाधिकरण से नोटिस मिलने की घटनाओं से जोड़ा जा रहा है। इसके साथ ही यह विरोध ऐसे समय में हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के दौरे पर आने वाले हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता बनर्जी और उनकी पार्टी टीएमसी बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाषा, अस्मिता और बंगाली पहचान के मुद्दों को फिर से धार देने की कोशिश कर रही हैं। ममता पहले भी चुनाव आयोग पर भाजपा के पक्ष में काम करने का आरोप लगा चुकी हैं और उन्होंने आशंका जताई है कि मतदाता सूची में संशोधन के जरिए एनआरसी को पीछे के रास्ते से लागू करने की कोशिश की जा रही है।