मुंबई, 1 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। आर्मी और एयरफोर्स के बाद अब नेवी समुद्री इलाकों में ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती करेगी। पूर्व नौसेना चीफ वाइस एडमिरल सतीश एन घोरमाडे ने कहा कि चीन और पाकिस्तान से जहां सबसे ज्यादा खतरा है, वहीं इन मिसाइलों को तैनात किया जाएगा। उन्होंने कहा कि, समुद्री इलाकों में चीन और पाकिस्तान के खतरे की निगरानी अब ब्रह्मोस मिसाइल करेंगे। ये सभी ब्रह्मोस के अपडेटेड यानी नई तकनीक से लैस रहेंगे। यह दुश्मन देशों से आने वाले किसी भी खतरे को बेअसर कर देंगे। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस के नए वर्जन की खास बात है कि यह समुद्र के अलावा जमीन और हवा पर भी निशाना लगा सकता है। वहीं, रक्षा मंत्रालय ने 30 मार्च को ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ 1700 करोड़ रुपए का समझौता किया था। इसके तहत समुद्री तटों के पास नेक्स्ट जेनरेशन मैरीटाइम मोबाइल कोस्टल बैटरी (NGMMCB-LR) और ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात करने की बात कही गई थी। ब्रह्मोस को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के फेडरल स्टेट यूनिटरी इंटरप्राइज NPOM के बीच साझा समझौते के तहत विकसित किया गया है। ब्रह्मोस एक मध्यम श्रेणी की स्टेल्थ रैमजेट सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इस मिसाइल को जहाज, पनडुब्बी, एयरक्राफ्ट या फिर धरती से लॉन्च किया जा सकता है।
आपको बता दे, ब्रह्मोस मिसाइलें भी चार तरह की हैं। इनमें सतह से सतह, आसमान से सतह, समुद्र से सतह और समुद्र के नीचे मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं। ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज रफ्तार मिसाइलों में शामिल है। ये जमीन से कम ऊंचाई पर बहुत तेज स्पीड से उड़ान भरती है जिसकी वजह से इसे एंटी-मिसाइल सिस्टम से पकड़ना आसान नहीं होता है। यही वजह है कि ये मिसाइल कम समय में लंबी दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। जमीन या समुद्र से दागे जाने पर ब्रह्मोस 290 किलोमीटर की रेंज में मैक 2500किमी प्रतिघंटे की स्पीड से अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है। पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल को पानी के अंदर से 40 से 50 मीटर की गहराई से छोड़ा जा सकता है। पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल दागने की टेस्टिंग 2013 में हुई थी। ऐसा माना जाता है कि ये एंटी-शिप क्रूज मिसाइल के रूप में दुनिया में सबसे तेज गति की मिसाइल है।