नई दिल्ली, 22 दिसंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) कोरोना महामारी की विकट स्थित से देश अभी निकल ही रहा था, कि इसके एक और वैरिएंट ने दस्तक दे दी है, और दस्तक भी ऐसे दी है कि देश भर में मात्र 200 के लगभग केसेस मिलने पर ही देश के सभी प्रशासनिक संस्थान इससे बचाव के प्रयास तेज कर चुके हैं। ऐसे ही एक बचाव के प्रयास में वैक्सीन के बूस्टर डोज के बारे में भी चर्चा हो रही है। इसी संदर्भ में आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के बयान के बाद प्रतिक्रियाएं आ रही है।
ज्ञात हो कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्यसभा को बताया कि भारत कोरोनावायरस के ओमाइक्रोन संस्करण से लड़ने के लिए तैयार है और देश की वैक्सीन निर्माण क्षमता को बढ़ाकर 45 करोड़ खुराक प्रति माह किया जाएगा। साथ ही उन्हों के यह भी कहा कि यह सुझाव देने के लिए कोई सबूत नहीं है कि मौजूदा COVID19 के टीके Omicron संस्करण पर काम नहीं करते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के बयान के बाद आईएलबीएस दिल्ली के निदेशक डॉ. एस के सरीन ने बूस्टर डोज पर अपने विचार रखते हुए कहा कि मेरी राय में, बूस्टर एक जरूरी है। जब आप किसी टीके की दो खुराकें लेते हैं तो आपका सुरक्षा स्तर, विशेष रूप से 3 से 6 महीने के बाद नीचे चला जाता है। तीसरी खुराक या बूस्टर हो तो गंभीर संक्रमण, अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है। हमें भारत में ओमाइक्रोन के संदर्भ में इस पर विचार करना होगा। मुझे लगता है कि स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को एक बूस्टर मिलना चाहिए और साथ ही कुछ सह-रुग्णता वाले लोगों के लिए भी। मुझे लगता है कि सरकार इसके बारे में सोच रही होगी।
बूस्टर खुराक पर नीति आयोग के सदस्य-स्वास्थ्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने संसद में कहा है, जरूरत, समय और बढ़ावा देने की प्रकृति, यदि कोई हो, वैज्ञानिक निर्णय, सोच पर आधारित होगी। उन्होंने आगे कहा कि कोविड हमेशा शुरुआती चरणों में हल्के लक्षणों के साथ आता है। हम उभरते मामलों की प्रस्तुति के पैटर्न में किसी भी बदलाव को बहुत सावधानी से देख रहे हैं।
बता दें कि विगत दिनों सूत्रों से खबर आई थी कि भारत बायोटेक ने अपने इंट्रानैसल कोविड वैक्सीन की बूस्टर खुराक के लिए डीसीजीआई को चरण 3 नैदानिक परीक्षण आवेदन प्रस्तुत किया हुआ है जो कोवाक्सिन और कोविशील्ड टीकाकरण वाले लोगों को दिया जा सकता है।