बैंकॉक, थाईलैंड: थाईलैंड में एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। एक तरफ थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर भीषण संघर्ष जारी है, तो वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री अनुतिन चर्नविराकुल ने देश की संसद को भंग करने का फैसला किया है। इस कदम से थाईलैंड की राजनीति पूरी तरह से अस्थिर हो गई है, जो पिछले कुछ महीनों से लगातार उथल-पुथल का सामना कर रही है। प्रधानमंत्री अनुतिन चर्नविराकुल ने संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा कि वह "शक्ति को जनता को लौटा रहे हैं" और देश में जल्द आम चुनाव का रास्ता साफ कर रहे हैं। यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब थाईलैंड पहले से ही भारी राजनीतिक दबाव में है। देश को पिछले कुछ महीनों में दो प्रधानमंत्रियों को नैतिक उल्लंघन के आरोपों के तहत संवैधानिक न्यायालय द्वारा पद से हटाए जाने के बाद गंभीर अस्थिरता का सामना करना पड़ा है।
कंबोडिया से युद्ध के बीच निर्णय
सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह राजनीतिक निर्णय तब लिया गया है जब थाईलैंड और पड़ोसी कंबोडिया के बीच सीमा विवाद एक बार फिर हिंसक रूप ले चुका है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच रॉकेट, ड्रोन और हवाई हमलों की खबरें आ रही हैं, जिससे सीमावर्ती इलाकों में तनाव चरम पर है और नागरिकों का पलायन जारी है।
संसद भंग होने से, देश अब एक कार्यवाहक सरकार के अधीन आ गया है, जिससे युद्ध जैसी स्थिति और आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता दोनों को संभालना एक बड़ी चुनौती बन गया है। विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से थाईलैंड में लोकतंत्र समर्थकों और सैन्य-राजशाही समर्थक ताकतों के बीच की खाई और गहरी हो सकती है। जल्द चुनाव ही अब थाईलैंड के लिए एक स्थिर सरकार पाने का एकमात्र रास्ता है।