ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध बुधवार को छठे दिन में प्रवेश कर चुका है और हालात हर दिन और भी गंभीर होते जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच मिसाइल हमले और जवाबी कार्रवाई लगातार तेज़ हो रही है। इस संघर्ष में अब वैश्विक शक्तियों की भी गहरी रुचि और संभावित दखल दिखाई देने लगी है। अमेरिका की ओर से चेतावनियों और रणनीतिक सैन्य तैनातियों ने मध्य पूर्व को एक बड़े युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है।
ईरान का हमला और इजराइल की जवाबी कार्रवाई
बुधवार तड़के, ईरान ने इजराइल के तेल अवीव पर दो राउंड मिसाइलें दागीं। इजराइली सेना के अनुसार, इन मिसाइलों से शहर में कई जगह विस्फोटों की आवाज़ें सुनी गईं। हमला शुरू होने से पहले ईरान की राजधानी तेहरान के जिला 18 में आम नागरिकों को अपने घर खाली करने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ ही करज और तेहरान में भी धमाकों की पुष्टि ईरानी मीडिया ने की है।
इसके जवाब में इजराइल ने ईरान की राजधानी के निकटवर्ती सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर ज़ोरदार हवाई हमले किए। इजराइली जेट्स ने ईरानी रक्षा संरचनाओं, मिसाइल शेल्टर और हथियार डिपो पर सटीक हमला किया, जिससे ईरान को बड़ा नुकसान हुआ है।
हिब्रू में ईरान की चेतावनी
इस युद्ध में एक नई रणनीति देखी गई जब ईरान की आईआरजीसी (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) ने इजराइल की जनता को सीधे हिब्रू भाषा में चेतावनी जारी की। इसमें कहा गया कि तेल अवीव के कुछ इलाकों को तुरंत खाली कर दिया जाए, क्योंकि आने वाले हमले और अधिक तीव्र हो सकते हैं। यह कदम उसी तरह का है जैसा इजराइल ने कुछ दिन पहले फारसी भाषा में तेहरानवासियों के लिए उठाया था।
इस मनोवैज्ञानिक रणनीति का उद्देश्य है दुश्मन की जनता में भय पैदा करना और राजनीतिक दबाव बढ़ाना।
अमेरिका की दखल की आहट
अमेरिका अब इस युद्ध में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में व्हाइट हाउस में अपनी नेशनल सिक्योरिटी टीम के साथ 90 मिनट की बैठक की। इस दौरान उन्होंने साफ संकेत दिया कि यदि ईरान युद्ध नहीं रोकता तो अमेरिका सीधा हस्तक्षेप कर सकता है।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "ट्रुथ सोशल" पर पोस्ट करते हुए चेतावनी दी:
"हमें पता है खामेनेई कहां हैं। अभी हम उन्हें कुछ नहीं कह रहे, लेकिन देर नहीं लगेगी।"
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने पहले से ही मध्य पूर्व में अपने कुछ फाइटर जेट्स के मिशन बढ़ा दिए हैं और नए विमानों की तैनाती भी शुरू कर दी है। साथ ही, यूएई, जॉर्डन और कुवैत में मौजूद अमेरिकी ठिकानों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
ट्रंप-नेतन्याहू की गुप्त बातचीत
एक और अहम घटनाक्रम में, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बातचीत की है। एक्सियोस की रिपोर्ट के मुताबिक, नेतन्याहू ने ट्रंप से अमेरिका की सैन्य मदद मांगी है। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की है कि अब अमेरिका इस युद्ध में 'डिफेंसिव मोड' से 'एक्टिव स्टेट' में आ सकता है।
ईरानी सर्वोच्च नेता की चेतावनी
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने पहली बार सार्वजनिक रूप से इस युद्ध पर बयान दिया है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
"युद्ध शुरू हो चुका है। अली खैबर लौट आया है। ज़ायोनी शासन को जवाब मिलेगा। हम रहम नहीं करेंगे।"
इस बयान के साथ ईरान ने अपनी आक्रामक मंशा स्पष्ट कर दी है और साफ कर दिया है कि अब कोई भी सैन्य या कूटनीतिक दबाव ईरान को रुकने पर मजबूर नहीं कर सकता।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता
इस युद्ध में यदि अमेरिका शामिल होता है तो यह संघर्ष सिर्फ एक क्षेत्रीय युद्ध नहीं रहेगा, बल्कि इसमें वैश्विक शक्तियां खुलकर शामिल हो सकती हैं।
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रूस और चीन पहले ही ईरान को समर्थन दे चुके हैं।
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वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे पश्चिमी देश इजराइल के साथ खड़े हैं।
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ब्रिटेन ने भी अपने युद्धक विमानों को अलर्ट पर रखा है।
यदि यह संघर्ष और बढ़ता है, तो तेल व्यापार, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। कच्चे तेल की कीमतों में अचानक तेजी आने की आशंका है, जो पूरी दुनिया में महंगाई का नया दौर शुरू कर सकती है।
निष्कर्ष
ईरान और इजराइल के बीच छठे दिन भी जारी यह युद्ध अब सिर्फ मिसाइलों तक सीमित नहीं रहा। इसमें कूटनीति, तकनीक, मनोवैज्ञानिक रणनीति और अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ की निर्णायक भूमिका बनती जा रही है। अमेरिका की सीधी दखल और खामेनेई के कड़े तेवरों के बीच यह स्पष्ट है कि आने वाले दिन मध्य पूर्व के लिए और भी भयावह हो सकते हैं।
अब पूरी दुनिया की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या यह संघर्ष सीमित रहेगा, या यह दुनिया को एक नए विश्व युद्ध के दरवाजे तक ले जाएगा।