पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के दादयाल क्षेत्र में हाल ही में पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) द्वारा आयोजित एक बड़ी रैली ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इस रैली का मंच जैश के टॉप कमांडर इलियास कश्मीरी ने संभाला, जहां से खुलेआम हमास के आतंकवादियों की तारीफ की गई और भविष्य में हमास जैसी हमलों की रणनीति अपनाने की बात कही गई।
खुफिया इनपुट के अनुसार, इस कार्यक्रम में न केवल हमास को सम्मान दिया गया, बल्कि जैश के स्थानीय और वरिष्ठ आतंकी नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए और फिलिस्तीन के समर्थन में गीत भी गाए। यह घटना जैश के बदलते इरादों और सीमा पर उत्पन्न हो रहे नए सुरक्षा खतरों का स्पष्ट संकेत है।
हमास के आतंकी ऑपरेशन बने जैश का नया 'मॉडल'
रैली के दौरान मंच से दिए गए भाषणों में हमास के आतंकी ऑपरेशंस को खुले तौर पर एक मॉडल करार दिया गया। जैश के कमांडरों ने अपने युवा कैडरों को हमास से प्रेरित होकर 'जारी जंग' लड़ने का आह्वान किया।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद अब अपनी पुरानी और पारंपरिक रणनीति को छोड़कर हमास-स्टाइल हमलों पर जोर देने की बात कर रहा है। यह घोषणा आने वाले महीनों में जैश की नई और अधिक आक्रामक रणनीति का संकेत देती है।
भीड़ में संघर्ष की भावना भड़काने के लिए एक विशेष गीत भी गाया गया, जिसके बोल थे: "मैं फिलस्तीन हूं, ये मेरा जुर्म है।" इंटेल रिपोर्ट बताती है कि जैश इस भावनात्मक नैरेटिव का इस्तेमाल करके बड़ी संख्या में युवाओं को अपने संगठन से जोड़ने की कोशिश कर रहा है।
इंटेल रिपोर्ट: हमास-स्टाइल ट्रेनिंग और नई गुरिल्ला रणनीति
इंटेल इनपुट्स में सबसे बड़ा खुलासा जैश के प्रशिक्षण को लेकर हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, जैश के प्रशिक्षुओं को अब हमास की तरह सुरंगों, छोटे ग्रुप अटैक और ड्रोन-आधारित हमलों की विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है।
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नए ट्रेनिंग मॉड्यूल: कई लॉन्चिंग पॉइंट्स पर नए ट्रेनिंग मॉड्यूल जोड़े गए हैं।
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गुरिल्ला रणनीति का अध्ययन: प्रशिक्षकों को हमास द्वारा इस्तेमाल की गई उन्नत तकनीकों और जटिल गुरिल्ला रणनीतियों का गहराई से अध्ययन कराया जा रहा है।
एजेंसियों का मानना है कि जैश का यह रणनीतिक बदलाव भारत-पाकिस्तान सीमा (एलओसी) पर सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती पैदा कर सकता है।
दादयाल की रैली भारत के लिए क्यों चिंता का विषय है?
दादयाल (पीओके) लंबे समय से जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र रहा है। लेकिन इस बार, खुलेआम भीड़ जुटाकर रैली करना और आतंकी कमांडरों द्वारा हमास मॉडल अपनाने की घोषणा करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है।
यह रैली कई कारणों से भारत के लिए चिंताजनक है:
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खुली घोषणा: जैश ने पहली बार सार्वजनिक रूप से हमास की युद्ध रणनीति को अपनाने की बात कही है, जो भविष्य में सीमा पार से होने वाले हमलों की प्रकृति को बदल सकती है।
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ड्रोन और सुरंगों का खतरा: हमास-स्टाइल ट्रेनिंग का मतलब है कि जैश अब अधिक परिष्कृत तरीके से घुसपैठ और हमला करने की क्षमता विकसित कर रहा है।
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बढ़ता कट्टरपंथ: रैली में दिए गए भड़काऊ भाषण और गीत पीओके के युवाओं को और अधिक कट्टरपंथी बनाकर जैश में शामिल करने का प्रयास हैं।
खुफिया सूत्रों का कहना है कि दादयाल में आयोजित यह रैली जैश के अगले किसी बड़े आतंकी हमले की तैयारी का हिस्सा हो सकती है। भारत को अब सीमा पार सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी रणनीति में इन नए खतरों को ध्यान में रखते हुए बदलाव करने होंगे।