इन दिनों अमेरिका दो बेहद विपरीत लेकिन बड़े कारणों से सुर्खियों में है। पहला – डोनाल्ड ट्रंप, जिनकी टैरिफ नीति और नोबेल पुरस्कार को लेकर की गई बयानबाजी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। और दूसरा – टेक्सास में आई विनाशकारी बाढ़, जिसने सैकड़ों लोगों की ज़िंदगी बदल दी है। जहां एक ओर व्हाइट हाउस में राजनीतिक रणनीतियों की गर्मी है, वहीं दूसरी ओर टेक्सास की सड़कों और शिविरों में पानी ने तबाही मचा रखी है।
ट्रंप की टैरिफ नीति और नोबेल की चर्चा
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कई देशों पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने का एलान किया है, जो 1 अगस्त से प्रभावी होगा। उनका कहना है कि यह कदम अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए है। इस फैसले से जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, कजाकिस्तान, थाईलैंड, म्यांमार, और बांग्लादेश जैसे कई देशों के साथ व्यापारिक संबंधों पर असर पड़ेगा। इस बीच ट्रंप ने दावा किया कि वे भारत के साथ ऐतिहासिक व्यापार समझौते के बेहद करीब हैं।
इसके अलावा ट्रंप के समर्थकों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नोबेल पुरस्कार देने की मांग भी उठाई है। उनका दावा है कि ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान युद्ध जैसी स्थितियों को टालने में मध्यस्थता की भूमिका निभाई, जो उन्हें नोबेल के योग्य बनाता है। यह राजनीतिक बयानबाजी और कूटनीतिक गतिविधियां अमेरिकी राजनीति को फिर से वैश्विक बहस के केंद्र में ले आई हैं।
टेक्सास की बाढ़: अब तक 100 से ज्यादा मौतें
दूसरी ओर, टेक्सास में कुदरत का कहर टूटा है। भारी बारिश के कारण ग्वाडालूप नदी उफान पर है और अचानक आई बाढ़ ने केर काउंटी समेत कई इलाकों में तबाही मचा दी है। अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग लापता हैं।
बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र केर काउंटी में कैंप मिस्टिक में छुट्टियां मनाने आए सैकड़ों लोग फंस गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, मृतकों में कई बच्चे भी शामिल हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है और अब तक 90 से अधिक शव बरामद किए जा चुके हैं।
सायरन होते तो बच जाती जानें
टेक्सास के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने इस त्रासदी पर दुख जताते हुए कहा कि यदि नदी के किनारे सायरन सिस्टम मौजूद होते तो लोगों को समय रहते अलर्ट किया जा सकता था और कई जानें बच सकती थीं। यह प्रशासनिक चूक टेक्सास राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले कुछ घंटों में फिर से बारिश होने की आशंका है, जिससे नदी का जलस्तर और बढ़ सकता है। धीमी गति के तूफान से एक घंटे में 2-3 इंच बारिश का अनुमान है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।
लोगों को नहीं मिला संभलने का मौका
ग्वाडालूप नदी का जलस्तर सिर्फ 45 मिनट में 26 फीट तक बढ़ गया, जिससे किसी को संभलने तक का मौका नहीं मिला। कैंप मिस्टिक और आसपास के कई गांवों में लोग अपने घरों में फंसे रह गए। टेक्सास में गर्मियों के दौरान ये कैंपिंग साइट्स बेहद लोकप्रिय होती हैं, लेकिन इस साल यह सैरगाह कब्रगाह में तब्दील हो गई।
केर काउंटी के अलावा ट्रैविस, केंडल, बर्नेल और टॉम ग्रीन काउंटी में भी मौतों की पुष्टि हुई है।
निष्कर्ष: दो चेहरों वाला अमेरिका
इन दो घटनाओं से अमेरिका का दोहरा चेहरा सामने आता है — एक ओर दुनिया की सबसे ताकतवर राजनीति, जिसकी अगुवाई डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेता कर रहे हैं, और दूसरी ओर आम नागरिकों का जीवन, जो प्रकृति की मार और सरकारी चूक की भेंट चढ़ रहा है।
यह घटनाएं यह बताती हैं कि सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति या आर्थिक शक्ति ही किसी देश की पहचान नहीं होती, बल्कि उसकी असली पहचान तब होती है जब वह अपने नागरिकों की सुरक्षा और मूलभूत संरचना को कितनी प्राथमिकता देता है।
टेक्सास की त्रासदी और ट्रंप की बयानबाजी — दोनों ही आने वाले समय में अमेरिकी राजनीति, समाज और प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालेंगे।