ईरान में आर्थिक संकट और मुद्रा की गिरती कीमतों के खिलाफ शुरू हुआ जन-आक्रोश अब एक बड़े नागरिक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। साल 2025 के अंतिम दिनों में ईरान की सड़कों पर जो दृश्य दिख रहे हैं, वे 1979 की क्रांति के बाद के कुछ सबसे गंभीर विरोध प्रदर्शनों में से एक माने जा रहे हैं।
रियाल की गिरावट और ग्रैंड बाजार से शुरुआत
इस विरोध की चिंगारी तेहरान के ऐतिहासिक ग्रैंड बाजार से सुलगी। रविवार को जब ईरानी मुद्रा रियाल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई, तो व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद कर दीं। ईरान के व्यापारियों का कहना है कि मुद्रा के अस्थिर होने से आयात-निर्यात और दैनिक व्यापार करना असंभव हो गया है। देखते ही देखते यह हड़ताल तेहरान से निकलकर कराज, इस्फहान, शिराज और यज़्द जैसे प्रमुख शहरों तक फैल गई।
आंदोलन का बदलता स्वरूप: छात्रों की एंट्री
शुरुआत में यह केवल व्यापारियों का आर्थिक विरोध था, लेकिन अब इसमें विश्वविद्यालय के छात्र भी शामिल हो गए हैं। प्रदर्शनों का केंद्र अब केवल महंगाई नहीं, बल्कि राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव की मांग बन गया है। सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो में छात्र 'तानाशाह को मौत' और 'शाह जिंदाबाद' जैसे नारे लगाते दिख रहे हैं। ये नारे सीधे तौर पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई और वर्तमान इस्लामी शासन को चुनौती दे रहे हैं।
निर्वासन में रह रहे शाह के बेटे रजा पहलवी ने भी इस आंदोलन को अपना नैतिक समर्थन दिया है, जिससे प्रदर्शनकारियों का मनोबल और बढ़ा है।
सरकार की रणनीति: नेतृत्व में बदलाव और नरमी
बढ़ते दबाव के बीच राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने फिलहाल नरम रुख अपनाया है। सरकार ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की इच्छा जताई है। इसके साथ ही एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव करते हुए केंद्रीय बैंक के गवर्नर मोहम्मदरेजा फर्जीन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। उनकी जगह अब्दुलनासिर हेम्मती को नया गवर्नर नियुक्त किया गया है, जिनसे उम्मीद की जा रही है कि वे मुद्रा की गिरावट को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम उठाएंगे।
अमेरिका की प्रतिक्रिया: "हम करीब से नजर रख रहे हैं"
ईरान में भड़के इस असंतोष पर अमेरिका ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा है कि वाशिंगटन ईरान के हालात पर करीब से नजर रख रहा है।
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मानवाधिकारों का समर्थन: अमेरिका ने कहा कि वह ईरान के लोगों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन और अपनी बात रखने के अधिकार का समर्थन करता है।
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दमन के खिलाफ चेतावनी: अमेरिका ने ईरानी सुरक्षा बलों द्वारा आंसू गैस और बल प्रयोग की खबरों पर चिंता जताई है और ईरान सरकार को अपने नागरिकों के खिलाफ हिंसा न करने की चेतावनी दी है।
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प्रतिबंधों का तर्क: जहां ईरान इन प्रदर्शनों के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराता है, वहीं अमेरिका का कहना है कि यह संकट ईरान के आंतरिक कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार का नतीजा है।
निष्कर्ष
ईरान का यह आंदोलन अब एक दोराहे पर खड़ा है। एक तरफ सरकार बातचीत के जरिए स्थिति शांत करना चाहती है, तो दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी अब केवल आर्थिक सुधार नहीं बल्कि व्यापक राजनीतिक बदलाव की मांग कर रहे हैं। आने वाले कुछ दिन यह तय करेंगे कि नया केंद्रीय बैंक गवर्नर रियाल को संभाल पाता है या यह आक्रोश सत्ता के लिए एक बड़ा खतरा बन जाएगा।