जरायल और हमास के बीच जारी लंबे संघर्ष में एक बड़ा मोड़ उस समय आया, जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि उनकी सेना ने हमास के गाजा प्रमुख मोहम्मद सिनवार को मार गिराया है। नेतन्याहू के अनुसार, यह हमला 13 मई को किया गया था और इसमें सिनवार को निशाना बनाकर हवाई हमले के ज़रिए मौत के घाट उतार दिया गया।
हालांकि, हमास की तरफ से अभी तक इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इजरायली सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, सिनवार की मौत संगठन के लिए एक बड़ा झटका है। सवाल उठता है कि आखिर मोहम्मद सिनवार कौन था, जिसकी मौत पर इजरायल जश्न मना रहा है और इसे अपनी रणनीतिक जीत बता रहा है?
कौन था मोहम्मद सिनवार?
मोहम्मद सिनवार को हमास का ‘घोस्ट कमांडर’ यानी रहस्यमयी कमांडर कहा जाता था। यह उपनाम उसे इजरायल की खुफिया एजेंसियों को बार-बार चकमा देने की वजह से मिला। कई बार उस पर हवाई हमले, बम धमाके और सीधी हत्या की कोशिशें की गईं, लेकिन वह हमेशा जाल की पकड़ से बच निकलता रहा।
एक घटना के अनुसार, कब्रिस्तान की यात्रा के दौरान एक बम ईंट के नीचे छिपाया गया था, लेकिन वह वहां से भी सुरक्षित लौट आया। 2003 में भी उस पर हमला हुआ, मगर वह बच गया।
हमास में उसकी भूमिका
सिनवार हमास की सबसे ताकतवर सैन्य ब्रिगेड — 'खान यूनिस ब्रिगेड' का प्रमुख था। वह न केवल रॉकेट हमलों और सीमा पार छापों की योजना बनाता था, बल्कि इजरायल सेना की गतिविधियों पर नजर रखने की भी जिम्मेदारी उठाता था। 2023 में इजरायल पर हुए एक बड़े हमले की योजना बनाने में उसकी अहम भूमिका मानी जाती है।
उसने हमास के भीतर मोहम्मद दीफ़ और मरवान इस्सा जैसे वरिष्ठ सैन्य नेताओं के साथ भी मजबूत रणनीतिक संबंध बनाए। उसके नेतृत्व में हमास की सैन्य क्षमताएं और खतरनाक हो गई थीं।
अपहरण कांड का मास्टरमाइंड
साल 2006 में इजरायली सैनिक गिलाद शालिट के अपहरण के पीछे भी मोहम्मद सिनवार का ही नाम था। यह घटना इजरायल के इतिहास की सबसे चौंकाने वाली घटनाओं में से एक रही। इस अपहरण की प्रतिक्रिया में इजरायल और हमास के बीच तनाव कई सालों तक चला।
इस घटना के बाद जब गिलाद शालिट की रिहाई की डील हुई, तो इजरायल ने 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया था। इसमें सिनवार का भाई याह्या सिनवार भी शामिल था, जो खुद हमास का एक बड़ा चेहरा है।
सिनवार की पृष्ठभूमि
मोहम्मद सिनवार का जन्म 16 सितंबर 1975 को हुआ था। उसका परिवार 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान अश्कलोन से भागकर गाजा के खान यूनिस में बस गया था। वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित स्कूलों में पढ़ा और बाद में अपने भाई याह्या से प्रभावित होकर मुस्लिम ब्रदरहुड के रास्ते हमास में शामिल हुआ।
हमास में शामिल होने के बाद वह तेजी से आगे बढ़ा और अपने सख्त सैन्य रुख और नेतृत्व कौशल के कारण जल्द ही संगठन की रणनीतिक योजनाओं का हिस्सा बन गया।
इजरायल के लिए जीत, हमास के लिए झटका?
इजरायल का मानना है कि मोहम्मद सिनवार की मौत हमास के लिए मानसिक और रणनीतिक झटका है। वह हमास की आक्रामक नीतियों का प्रमुख वास्तुकार था और उसकी मृत्यु से संगठन की मिलिट्री कमान को गहरा धक्का लग सकता है।
नेतन्याहू ने इसे “इजरायल की बड़ी जीत” बताते हुए कहा कि सिनवार लंबे समय से इजरायल के टारगेट पर था और अब वह “न्याय का शिकार” बन चुका है। इसके विपरीत हमास की ओर से न कोई पुष्टि की गई है और न ही कोई प्रतिक्रिया दी गई है, जिससे मामले की गंभीरता और रहस्य और बढ़ गया है।
आगे क्या?
अगर यह दावा सच साबित होता है, तो यह इजरायल और हमास के बीच संघर्ष के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ बन सकता है। वहीं, अगर हमास इस दावे का खंडन करता है और सिनवार फिर से सामने आता है, तो इजरायल की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।
फिलहाल यह स्पष्ट है कि मोहम्मद सिनवार की मौत की खबर ने एक बार फिर मध्य-पूर्व में तनाव को बढ़ा दिया है। आने वाले दिनों में यह देखा जाएगा कि हमास इस दावे पर क्या प्रतिक्रिया देता है और इस घटना का क्षेत्रीय राजनीति और सुरक्षा पर क्या असर पड़ता है।
निष्कर्ष
मोहम्मद सिनवार की मौत चाहे अभी पुष्टि के दायरे में हो, लेकिन उसका नाम इजरायल-हमास संघर्ष में एक काले साये की तरह दर्ज रहेगा। उसके जैसे सैन्य रणनीतिकार की मौजूदगी और मौत, दोनों ही मध्य-पूर्व की राजनीति को लंबे समय तक प्रभावित करते रहेंगे।