मुंबई, 28 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भूटान के प्रधानमंत्री लोते थेरिंग ने डोकलाम इलाके के विवाद को तीन देशों का विवाद करार दिया है। उनका कहना है कि डोकलाम विवाद को भारत, चीन और भूटान को मिलकर सुलझाना चाहिए, क्योंकि इस विवाद में तीनों ही देश बराबर के जिम्मेदार और हिस्सेदार हैं। 6 साल पहले डोकलाम इलाके में ही भारत और चीन के बीच सीमा विवाद हुआ था और महीनों तक दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने खड़े रहे थे। बहरहाल, थेरिंग का बयान भारत के उस स्टैंड से उलट है, जिसमें वो डोकलाम को भारत और भूटान के बीच का मसला मानता है। खुद थेरिंग भी पहले यही कहते रहे हैं, हालांकि अब उनका रुख भारत के लिए फिक्रमंदी का सबब बन सकता है।
भूटान के प्रधानमंत्री थेरिंग ने बेल्जियम की न्यूज वेबसाइट डेली ला लिब्रे को इंटरव्यू दिया है। इसे एनडीटीवी ने पब्लिश किया है। इंटरव्यू में थेरिंग ने कहा, डोकलाम मसले का हल सिर्फ भूटान नहीं निकाल सकता। इस मामले से तीन देश जुड़े हैं। और इस मामले में किसी भी देश को छोटा नहीं माना जा सकता। सब बराबर के हिस्सेदार हैं। थेरिंग का यह बयान भारत की चिंताएं बढ़ाने वाला है। इसकी वजह यह है कि भारत डोकलाम में चीन के किसी भी दावे को नहीं मानता। उसके मुताबिक यह भारत और भूटान के बीच का मामला है। चीन का इसमें कोई दखल नहीं होना चाहिए। यह हिस्सा भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर में आता है, जिसे स्ट्रैटजिक लोकेशन के हिसाब से सेंसिटिव माना जाता है। वहीं, चीन मामलों के एक्सपर्ट डॉ. ब्रह्म चेलानी ने 8 महीने पहले कहा था, चीन भूटान के इलाकों में गांव, सड़कों और सिक्योरिटी इंस्टालेशन का निर्माण कर भारत के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत कर रहा है। इन निर्माणों के जरिए चीन देश के रणनीतिक तौर पर अहम चिकन नेक कॉरिडोर के लिए खतरे के तौर पर उभरा है।