मुंबई, 01 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सरकार के खिलाफ तीन दिन से जारी हिंसक प्रदर्शनों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने बुधवार को निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की। इस कार्रवाई में 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए। अब तक हुई झड़पों में मरने वालों की संख्या 10 तक पहुंच चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धीरकोट (बाघ जिला) में 4 लोग मारे गए, जबकि मुजफ्फराबाद और मीरपुर में दो-दो मौतें दर्ज की गईं।
ये आंदोलन जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी की अपील पर शुरू हुए हैं। प्रदर्शनकारी सरकार पर महंगाई नियंत्रित न कर पाने और बुनियादी अधिकारों की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं। हजारों लोग राजधानी मुजफ्फराबाद की ओर मार्च कर रहे हैं और सरकार को 38 मांगें सौंपी गई हैं। इनमें प्रमुख मांगों में PoK विधानसभा की 12 आरक्षित सीटों को खत्म करना, बिजली परियोजनाओं में स्थानीय लोगों को लाभ देना और आटे व बिजली बिलों में छूट शामिल हैं। ये आरक्षित सीटें भारत-प्रशासित जम्मू-कश्मीर से आए शरणार्थियों और प्रवासियों के लिए बनी हैं। आंदोलनकारी कह रहे हैं कि इन सीटों की वजह से स्थानीय लोगों का प्रतिनिधित्व घटता है और फायदा केवल कुछ परिवारों तक सीमित है। उनका कहना है कि असली जनता की समस्याओं को विधानसभा में उतनी तवज्जो नहीं मिलती।
जम्मू-कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमेटी के नेता शौकत नवाज मीर ने कहा कि ये संघर्ष लोगों को उनके 70 साल से छिने हुए मौलिक अधिकार दिलाने के लिए है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि यह हड़ताल सिर्फ ‘प्लान ए’ है और आगे के प्लान ज्यादा कठोर होंगे। साथ ही मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजा और सरकारी नौकरी की मांग भी की गई है। पाकिस्तान सरकार ने हालात काबू करने के लिए PoK में पत्रकारों और पर्यटकों की एंट्री पर रोक लगा दी है। स्थानीय रिपोर्टर्स भी आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें स्वतंत्र कवरेज नहीं करने दिया जा रहा। वहीं कई मानवाधिकार संगठनों ने भी इन प्रदर्शनों पर चिंता जताई है। क्षेत्र में आधी रात से इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है, क्योंकि सरकार को डर है कि आंदोलन आजादी की मांग का रूप ले सकता है।