अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में विदेशी छात्रों को देश में पढ़ाई की अनुमति देने के समर्थन में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि विदेशी छात्रों का अमेरिका आना न केवल देश की शिक्षा प्रणाली को मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाता है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद फायदेमंद है। ट्रंप ने स्पष्ट कहा कि अगर विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगाई गई, तो अमेरिका की कई यूनिवर्सिटीज अपने दरवाजे बंद करने पर मजबूर हो जाएंगी।
“विदेशी छात्रों के बिना शिक्षा प्रणाली तबाह हो जाएगी”
फॉक्स न्यूज की होस्ट लॉरा इंग्राहम से बातचीत में ट्रंप ने कहा, “अगर आप दुनियाभर से आने वाले आधे छात्रों को रोक देंगे, तो हमारे कॉलेज और यूनिवर्सिटीज तबाह हो जाएंगे। मैं ऐसा नहीं करना चाहता। बाहर के देशों से छात्रों का आना अच्छा है, क्योंकि हमें दुनिया के साथ तालमेल बनाकर चलना चाहिए। ट्रंप ने आगे कहा कि विदेशी छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों के लिए न केवल सांस्कृतिक विविधता लाते हैं बल्कि वित्तीय रूप से भी अहम योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि चीन, भारत, दक्षिण कोरिया और मध्य पूर्व के देशों से आने वाले छात्र उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए जीवनरेखा की तरह हैं।
“यह सिर्फ शिक्षा नहीं, एक बिजनेस मॉडल है”
ट्रंप ने दावा किया कि विदेशी छात्रों की संख्या घटाने से अमेरिका की आधी यूनिवर्सिटीज बंद हो सकती हैं। उन्होंने कहा, “विदेशी छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में ट्रिलियंस डॉलर का योगदान देते हैं और घरेलू छात्रों की तुलना में दो गुना फीस चुकाते हैं। मैं हमारे एजुकेशन सिस्टम को फलते-फूलते देखना चाहता हूं। यह केवल शिक्षा का मामला नहीं है, बल्कि एक बिजनेस मॉडल भी है। हालांकि, ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनकी ही प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा नियम सख्त कर दिए हैं। हजारों वीजा रद्द किए जा चुके हैं और कुछ विदेशी छात्रों को प्रो-पैलेस्टाइन गतिविधियों के कारण हिरासत में लिया गया या देश से निकाला गया है।
वीजा नीति पर बढ़ी सख्ती और विवाद
जब लॉरा इंग्राहम ने सुझाव दिया कि विदेशी छात्रों की संख्या घटाने से अमेरिकी छात्रों के लिए सीटें बढ़ेंगी, तो ट्रंप ने असहमति जताई। उन्होंने कहा, “अगर हम विदेशी छात्रों को रोकते हैं, तो छोटे कॉलेज और ब्लैक हिस्टोरिकल यूनिवर्सिटीज को भारी नुकसान होगा। कई संस्थान इन्हीं छात्रों की फीस से चलते हैं।”
इसी बीच विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस साल की शुरुआत में छात्र वीजा इंटरव्यू अस्थायी रूप से रोकने के निर्देश दिए थे। अब प्रशासन ‘कॉम्पैक्ट फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस इन हायर एजुकेशन’ नामक नई नीति पर काम कर रहा है, जिसके तहत विदेशी छात्रों की संख्या कुल अंडरग्रेजुएट एडमिशन का 15% तक सीमित रखने और किसी एक देश से 5% से अधिक छात्रों को अनुमति न देने की योजना है।
विश्वविद्यालयों का विरोध और चिंता
अमेरिका की कई शीर्ष यूनिवर्सिटीज — जैसे हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और एमआईटी — इस प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि यह नीति अमेरिकी उच्च शिक्षा प्रणाली की वैश्विक प्रतिष्ठा को कमजोर करेगी और अनुसंधान एवं नवाचार पर सीधा असर डालेगी।
ट्रंप के बयान ने एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि विदेशी छात्रों का अमेरिका की अर्थव्यवस्था और शिक्षा क्षेत्र पर कितना गहरा प्रभाव है। जहां एक ओर प्रशासन सुरक्षा और राष्ट्रीय हित के नाम पर सख्त नियम बना रहा है, वहीं ट्रंप खुद यह स्वीकार कर रहे हैं कि विदेशी छात्रों के बिना अमेरिका का एजुकेशन सेक्टर अधूरा है।