चाणक्य जिन्हे कौटिल्य या विष्णुगुप्त भी कहा जाता है हिंदू राजनेता और दार्शनिक जिन्होंने राजनीति पर एक क्लासिक “अर्थ शास्त्र” ग्रंथ लिखा था जो भारत में लिखे गए लगभग सभी चीजों का संकलन था। उनकी नीतियों पर चलकर ही चंद्रगुप्त मौर्य भारत से सम्राट बने।
जानिए ऐसे महान पुरुष के कुछ विचार |
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शत्रु के गुण को भी ग्रहण करना चाहिए
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एक ही देश के दो शत्रु परस्पर मित्र होते है।
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सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है |
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यदि स्वयं के हाथ में विष फ़ैल रहा है तो उसे काट देना चाहिए।
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शत्रु की दुर्बलता जानने तक उसे अपना मित्र बनाए रखें |
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सांप को दूध पिलाने से विष ही बढ़ता है, न की अमृत।
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अन्न के सिवाय कोई दूसरा धन नहीं है |
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वन की अग्नि चन्दन की लकड़ी को भी जला देती है अर्थात दुष्ट व्यक्ति किसी का भी अहित कर सकते है |
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जो धैर्यवान नहीं है उसका न वर्तमान है न भविष्य।
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लोहे को लोहे से ही काटना चाहिए |